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देश में बढ़ रही सोने की डिमांड, ज्वैलरी खरीदने के लिए उमड़ रही भीड़!

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने हाल ही में भारत में सोने की खपत को लेकर एक बेहद ही जरूरी अनुमान जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल भारत में सोने की खपत 850 टन तक पहुंचने की संभावना है, जबकि बीते साल यह 750 टन थी.

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Sourabh Dubey
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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने हाल ही में भारत में सोने की खपत को लेकर एक बेहद ही जरूरी अनुमान जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल भारत में सोने की खपत 850 टन तक पहुंचने की संभावना है, जबकि बीते साल यह 750 टन थी. इसका मतलब है कि इस साल के दौरान सोने की खपत में लगभग 13% की वृद्धि हो सकती है. 

इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण सोने पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी है बताई जा रही है. सरकार ने सोने पर आयात शुल्क को 15% से घटाकर 6% कर दिया है, जिससे सोने की मांग में तेजी आई है. इस बदलाव के बाद सोने की लागत में कमी आई है, जिससे यूजर्स के लिए सोना खरीदना काफी ज्यादा आसान हो गया है.

त्योहारों पर बिक्री में उछाल 

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि, इस साल ज्वेलरी के क्षेत्र में सोने की डिमांड में सबसे ज्यादा इजाफा देखा जाएगा.. खासतौर पर दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान सोने की बिक्री में उछाल देखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त, जुलाई-सितंबर तिमाही में सोने की डिमांड 230 टन तक पहुंचने का भी अनुमान है, जो सालाना आधार पर 10% की वृद्धि दर्शाता है.  

हालांकि, अप्रैल-जून तिमाही में सोने की डिमांड 5% घटकर 158.1 टन रह गई थी. इस कमी का प्रमुख कारण उच्च आयात शुल्क था, जिसने सोने की खरीदारी को प्रभावित किया, लेकिन अब, कम शुल्क के कारण मांग में तेजी देखी जा रही है.

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) की बढ़ती लोकप्रियता भी एक महत्वपूर्ण कारक है. हाल के दिनों में गोल्ड ETFs में निवेश में वृद्धि दर्ज की गई है, और भारत में इसके दायरे में भविष्य में विस्तार की संभावना है.

वैश्विक बाजार, देश में सोने की कीमतों को करेगा प्रभावित

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. चूंकि भारत सोने की जरूरतों को पूरी तरह से आयात पर निर्भर करता है, ऐसे में वैश्विक कीमतों में बदलाव भारत में सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकता है. कुल मिलाकर देखा जाए, तो भारत में सोने की मांग में वृद्धि का यह ट्रेंड भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है, जो आर्थिक स्थिरता और उपभोक्ता विश्वास का संकेत है. 

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