इस 15 अगस्त 2024 को हमारे देश को आजाद हुए 78 साल पूरे हो गए हैं. इन सालों में बहुत कुछ बदला, साथ ही बदली हमारी करेंसी का रंग-रूप भी.. ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको इंडियन करेंसी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें पहले शायद आपने कभी नहीं सुना होगा.
गौरतलब है कि, हमारी इंडियन करेंसी डिजिटलाइजेशन की ओर कदम बढ़ा रही है, हालांकि आज भी तमाम छोटी जरूरतों के लिए लिए हमें कैश का इस्तेमाल अक्सर करना पड़ता है. मगर क्या कभी आपने सोचा है कि, ये नोट भीख जाते हैं- सिकुड़ जाते हैं, मगर कुछ समय बाद जस के तस कैसे हो जाते हैं?
दरअसल ये सब निर्भर करता है इन नोटों को बनाने के तरीके पर, जोकि बेहद ही खास है. हमारे पास जो 50-100 और 500 के नोट होते हैं, उन्हें 100% रुई जिसे कपास या कॉटन भी कहते हैं उनकी मदद से तैयार किया जाता है.
कपास के रेशे में एक खास तरह का लेनिन नाम का फाइबर पाया जाता है. नोट बनाते समय गैटलिन और एडेसिन को भी इस्तेमाल में लिया जाता है. यही वजह है कि नोट की उम्र काफी लंबी होती है और वो भीगने या मुड़ने पर भी खराब नहीं होते.
मगर, क्या आपको पता है कि, नोट पर कितने लैंग्वेजेस का यूज हुआ है?
आरबीआई के अकॉर्डिंग एक छोटे से नोट में 17 लैंग्वेजेस का इस्तेमाल हुआ है. नोट के आगे हिस्से में मुख्य रूप से देवनागरी और इंग्लिश दिखती है. वहीx पीछे के हिस्से में 15 भाषाएं प्रिंट होती है, जिसमें असमिया, बंगला, गुजराती, कन्नड, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषा शामिल है.
भारतीय करेंसी के बारे में दिलचस्प बातें!
भारत ने अपना पहला नोट आजादी के करीब 2 साल बाद भारत जारी किया था. आरबीआई के अकॉर्डिंग इंडिपेंडेंट इंडिया का पहला नोट महज ₹1 का था. साल 1969 में रिजर्व बैंक ने पहली बार गांधी जी की तस्वीर वाले ₹1 के नोट जारी किया था.