मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर है. ईरान ने इस्राइल पर बड़ा हमला कर दिया है. इस्राइल ने ईरान से बदला लेने की कसम खाई है. इस्राइल अगर हमला करता है तो एक बड़ा संघर्ष शुरू हो सकता है. युद्ध की आशंका के बीच दुनिया भर में तेल की कीमतो में उछाल आया है. आखिर इस्रइल और ईरान के युद्ध से पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्यों बढ़ेंगी. आइये जानते हैं.
रूस के बावजूद मिडिल ईस्ट भारत के एनर्जी इम्पोर्ट के लिए प्रमुख क्षेत्र है. भारत अपने तेल और गैस का बड़ा हिस्सा आयात करता है. भारत के लिए इराक, सऊदी अरब, कतर, यूएई और कुवैत तेल के मुख्य मिडिल ईस्ट आपूर्तिकर्ता हैं.
इस्राइल ईरानी तेल इनफ्रास्ट्रक्चर को बना सकता है निशाना
लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का लगभग आधा हिस्सा भारत कतर से आयात करता है. इसी साल फरवरी में कतर के साथ भारत ने एलएनजी आयात को अगले 20 वर्षों के लिए समझौता किया था. यह समझौता 78 बिलियन डॉलर का था.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में आशंकाएं हैं कि इस्राइल ईरान के तेल इनफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बना सकता है. एक्सपर्ट को आशंका है कि अगर इस्राइल ने कोई एक्शन लिया तो ईरान होमुर्ज स्ट्रेट को ब्लॉक करने या सऊदी इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला कर सकता है. बता दें, होमुर्ज स्ट्रैट रणनीतिक रूप से काफी अहम चॉक प्वाइंट है. यहीं से दैनिक ऑयल सप्लाई का पांचवा हिस्सा सप्लाई होता है.
जानकारों का कहना है कि अगर तेल के जहाज को अस्थाई बाधा का भी सामना करना पड़ता है तो सप्लाई में देरी हो सकती है. इससे शिपिंग लागत भी बढ़ सकती है, जिससे दुनिया भर में तेल की कीमतों में इजाफा हो सकता है.
भारत में ऐसे पड़ेगा असर
ईरान और इस्राइल के बीच अगर युद्ध शुरू होता है तो हिजबुल्ला और हूती विद्रोहियों का भी हमला बढ़ जाएगा. लाल सागर में हूती मुश्किलें बढ़ा देगा, जिससे लाल सागर और होर्मुज स्ट्रेट पूरी तरह से ब्लॉक हो सकते हैं. भारत का रूस तेल भी लाल साहर से ही आता है. अगर मिडिल ईस्ट में युद्ध शुरू होता है तो रूस आने वाले तेल के जहाज को केप ऑफ गुड होप का रास्ता चुनना पड़ेगा, जो काफी लंबा रूट है. इसके अलावा, कतर से एलएनजी, इराक और सऊदी से तेल होर्मुज स्ट्रैट से ही भारत आते हैं. अगर यह ब्लॉक होता है तो भारत को मुसीबत झेलनी पड़ सकती है.