भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. कहा जाता है कि जितनी आबादी ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की है उतनी आबादी को हर वक्त भारत के ट्रेनों में यात्रा करती है. करोड़ों लोग रोजाना भारतीय ट्रेनों में सफर करते हैं. हालांकि, पिछले कुछ समय से देखा जाए तो भारत में कई सारे ट्रेन हादसे हुए हैं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई.
पिछले एक साल में भारत में तीन बड़े हादसे हुए, जिसमें 300 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी. अब राहत की बात है कि भारतीय रेलवे ने कवच सिस्टम तैयार कर लिया है, जिससे हादसों पर लगाम लगेगी. रेलवे ने कवच 4.0 भी बना लिया है. लेकिन यह कवच 4.0 कहां लगाया जाएगा. कैसे यह हादसों से बचाएगा, आइये आपको बताते हैं.
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हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच 4.0 का सक्सेसफुल ट्रायल किया. अब दिल्ली मुंबई रेल लाइन को ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच 4.2 से लैस किया जा रहा है. यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक और मॉर्डन सुरक्षा प्रणाली पर काम करेगा. यह ट्रेन हादसों को रोकने में मदद भी करेगा.
यहां लगाया जाता है
कवच 10 हजार से अधिक ट्रेनों में लगाए जाएंगे. लोगों के मन में अक्सर एक सवाल आता है कि कवच कहां लगाया जाता है. तो बता दें कि कवच को इंजन पर लगाया जाता है. कवच-4.0 भी इंजन पर ही लगाया जाएगा. कवच पहले ही हादसों को भाप लेगा और उन्हें रोकने के लिए काम करेगा.
ऐसे काम करता है कवच
रेलवे का कवच 4.0 पूरी तरह से ऑटोमैटेड प्रोटेक्शन सिस्टम है. यह आधुनिक तकनीक पर आधारित है. यह सिस्टम की निर्धारित स्पीड से दो किमी प्रतिघंटा से अधिक की स्पीड होने पर अलार्म बजा देगा. अगर ट्रेन की स्पीड निर्धारित स्पीड से पांच किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा होगी तो फिर ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे. अगर ट्रेन निर्धारित स्पीड से नौ किमी प्रतिघंटा से अधिक की स्पीड में पहुंचेगी तो खुद-ब-खुद इमरजेंसी ब्रेक लग जाएंगे.
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