सुप्रीम कोर्ट के बाद अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर एक अहम फैसला सुुनाया है. उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड आयु प्रमाणित करने वाला दस्तावेज नहीं है. यह पहचान का दस्तावेज है.
उच्च न्यायालय ने यह आदेश नरसिंहपुर की सुनीता बाई नाम की एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. महिला ने सरकारी सहायता के लिए आवेदन किया था. आधार कार्ड में दर्ज आयु में असमानता होने की वजह से उनका आवेदन रद्द कर दिया गया था.
मुख्य सचिव को आदेश की प्रति भेजी
न्यायामूर्ति जी एस अहलूवालिया की एकल पीठ ने आदेश जारी किया और कहा कि आदेश का इस्तेमाल सिर्फ पहचान के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आयु या फिर जन्म तारीख की जांच के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया, जिससे वे सभी जिला कलेक्टरों को इस बारे में जानकारी दे सकें.
यह है मामला
मामला नरसिंहपुर के सिंहपुर पंचायत का है. यहां रहने वाली सुनीता बाई के पति को करंट लग गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. उन्होंने आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किया. आधार कार्ड में मृतक की उम्र को लेकर परेशानी हुई, जिस वजह से उनका आवेदन रद्द कर दिया गया था.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि आधार कार्ड का उपयोग उम्र तय करने के लिए नहीं किया जा सकता है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क हादसे के मामले में मृतक की उम्र आधार कार्ड से तय कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.