केंद्र सरकार ने कम आयवर्ग वाले परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करवाने का फैसला किया है. नागरिक निकायों के साथ मिलकर सरकार घर-घर जाकर सर्वे करेगी. सरकार छह श्रमिक समूहों के बीच शहरी गरीबी के स्तर का सर्वेक्षण करेगी, जिसमें गिग श्रमिक, निर्माण श्रमिक, अपशिष्ट श्रमिक, घरेलू श्रमिक, देखभाल श्रमिक और परिवहन श्रमिक शामिल हैं.
सर्वेक्षण कल से यानी एक अक्टूबर के शुरू होगा. सर्वेक्षण में आगरा, वाराणसी, इंदौर, कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम सहित देशभर के 25 शहरों को शामिल किया जाएगा.
लाभार्थियों की मैपिंग करना उद्देश्य
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रलय के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि सबसे पहले गणना और प्रोफाइलिंग होगी, जिसके बाद विभिन्न केंद्रीय और राज्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे- सरकारी बीमा कवर के लाभार्थियों की मैपिंग आसान हो जाए जाएगी. इससे समग्र रूप से परिवारों को लाभ पहुंचेगा.
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10 साल में घटी गरीबी दर
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान द्वारा तैयार की गई भारत रोजगार रिपोर्ट- 2024 के अनुसार, 2012 में 13.7 प्रतिशत की तुलना में 2022 में शहरी गरीबी दर 12.55 प्रतिशत थी. हालांकि, विशेषज्ञ बताते हैं कि शहरीकरण में अब वृद्धि हुई है, जिससे शहरी गरीबों की संख्या में भी बढ़त हुई होगी फिर चाहे प्रतिशत के आधार पर सुधार ही हुआ हो.\
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आजीविका के बेहतर अवसर मिलेंगे
शहरी आजीविका मिशन को नया रूप देने पर लंबे वक्त से काम चल रहा है. इसे 2023 में लॉन्च किया जाना था. 180 करोड़ की यह पायलट परियोजना तीन माह तक चलेगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने लक्षित राज्यों और शहरों के अधिकारियों के लिए 23 सितंबर को एक वर्कशॉप आयोजित की थी. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्रीनिवास कटिकिथला ने बताया था कि शहरीकरण विभिन्न अवसर देता है. इन अवसरों की मदद से शहरी गरीबों, युवाओं सहित कमजोर समूहों को बेहतर आजीविका के अवसर देता है.