50,000 नौकरियों पर मंडराया खतरा, देश के स्टार्टअप्स ने इस साल 12 हजार लोगों को किया जॅाबलेस

किसी भी अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप्स (Startups) के उभार को रोजगार (Employment) पैदा करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा ही भारत में भी पिछले दो-तीन साल में तेजी से बढ़ते स्टार्टअप कल्चर (Startup Culture) के साथ देखने को मिल रहा था.

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Sunder Singh
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सांकेतिक तस्वीर ( Photo Credit : News Nation)

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किसी भी अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप्स (Startups) के उभार को रोजगार (Employment) पैदा करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा ही भारत में भी पिछले दो-तीन साल में तेजी से बढ़ते स्टार्टअप कल्चर (Startup Culture) के साथ देखने को मिल रहा था. लगातार उभरकर आ रहे बहुत से ये स्टार्टअप हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा कर रहे थे. लेकिन क्रंचबेस (Chrunchbase) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 के पहले 6 महीनों में भारतीय स्टार्टअप्स में काम करने वाले 12 हजार लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. इसके पीछे स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में हो रही मुश्किल कारण बताई जा रही है. इस घटना को 'फंडिंग विंटर' (Funding winter) नाम दिया गया है. दुनियाभर में चल रही आर्थिक उथल-पुथल (Economic Meltdown) भी इसके पीछे की एक बड़ी वजह है. 

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कोरोनाकाल में किया था इन कंपनियों ने बूम

दरअसल जब पूरी दुनिया में कोरोना का कहर छाया हुआ था और भारत में भी बहुत से पुराने तरीके से चलने वाले उद्योग-धंधे ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे, तब व्यापार के कई क्षेत्रों में नए-नए स्टार्टअप्स उभरे और तेजी से बढ़े. इनमें भारत में स्कूल और कोचिंग पर कोविड के कारण बेहद नकारात्मक असर पड़ा था. इसका फायदा उठाते हुए एडटेक क्षेत्र की कंपनियों ने जबरदस्त तरक्की की थी. इनमें बायजू, अनअकेडमी, वेदांतू जैसी कंपनियां शामिल थी. इसके अलावा कोरोना से फायदा उठाने वाली कंपनियों में एंटरटेनमेंट और कई अन्य क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं. इस दौरान इन कंपनियों में हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए.

पूरी दुनिया में असर कर रहे हैं ये आर्थिक हालात

कोरोना महामारी की मार के बाद दुनिया में उससे उबरने के लिए अलग-अलग कदम उठाए गए. अमरीकी सरकार ने अर्थव्यवस्था में पैसा बढ़ाने के लिए बहुत से डॉलर छापे. जिसके बाद अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो गई और उसके बाद रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी कर दी. इन सब कारणों से दुनिया में एक आर्थिक उथल-पुथल की स्थिति देखने को मिल रही है. अब इन स्टार्टअप्स को अपने वैल्युएशन का संकट झेलना पड़ रहा है. इन्हें पर्याप्त फंडिंग मिलने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

दुनियाभर की कंपनियां कर रही छंटनी
कर्मचारियों की छंटनी का यह काम केवल भारत के स्टार्टअप्स ही नहीं कर रहे हैं. बल्कि इस आर्थिक दौर में दुनियाभर के स्टार्टअप्स को इस स्थिति से गुजरना पड़ रहा है. जहां एक ओर भारत में ओला, ब्लिंकिट, बाइजू, अनअकेडमी, वेदांतू, कार्स24, एमपीएल(MPL), Mfine, लिडो लर्निंग, ट्रेल, फारआई, फरलेंको आदि कंपनियों ने इस साल अब तक अपने 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर उन्हें काम से निकाल दिया. वहीं अमरीका में इस साल अब तक कुल 22 हजार कर्मचारियों की छंटनी हुई. इनमें नेटफ्लिक्स, रॉबिनहुड, क्रिप्टो फर्म कॉइनबेस, जेमिनी, क्रिप्टो डॉट कॉम, वॉल्ड, बायबिट, बिटपांडा, पोकेमॉन गो गेम डेवलपर नियांटिक और एलन मस्क की टेस्ला जैसी कंपनियों ने अपने वेतनभोगी कर्मचारियों में कमी की.

इस साल जा सकती हैं 60 हजार नौकरियां
देश में इन कंपनियों में इस साल के पहले 6 महीने में 12 हजार नौकरियों के जाने के बाद, अब कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक और निराशाजनक खबर आ रही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस साल के अंत तक देश के स्टार्टअप्स 50 हजार और लोगों की छंटनी कर उन्हें काम से निकाल सकते हैं. इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि कंपनियां अपनी 'रिस्ट्रक्चरिंग और कॉस्ट मैनेजमेंट' (पुनर्गठन और लागत प्रबंधन) करना चाह रही हैं, ताकि उन्हें आसानी से फंडिंग मिल सके.

HIGHLIGHTS

  • भारत के स्टार्टअप्स ने निकाले 6 महीने में 12 हजार कर्मचारी
  • दुनिया में चल रही आर्थिक उथल-पुथल का असर 
  • फंडिंग लेने के लिए ऐसा कर रही कंपनियां
  • अगले 6 महीने में जा सकती हैं 50 हजार और नौकरियां

Source : News Nation Bureau

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