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123456 का अभी तक 'पासवर्ड' के रूप में करते हैं इस्तेमाल, तो इसे पढ़ें

यदि आप डिवाइस में अभी भी पास कोड के रूप में 'पासवर्ड' और '123456' का उपयोग कर रहे हैं, तो दुनिया की कुछ सबसे लोकप्रिय वेबसाइट्स पर दी गई असंगत और भ्रामक सलाह के रूप में अपने आप को दोष न दें.

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Sunil Mishra
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123456 का अभी तक 'पासवर्ड' के रूप में करते हैं इस्तेमाल, तो इसे पढ़ें

123456 का अभी तक 'पासवर्ड' के रूप में करते हैं इस्तेमाल, तो इसे पढ़ें( Photo Credit : IANS)

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यदि आप डिवाइस में अभी भी पास कोड के रूप में 'पासवर्ड' और '123456' का उपयोग कर रहे हैं, तो दुनिया की कुछ सबसे लोकप्रिय वेबसाइट्स पर दी गई असंगत और भ्रामक सलाह के रूप में अपने आप को दोष न दें. नई रिसर्च के अनुसार, वास्तव में दुनिया की सबसे लोकप्रिय वेबसाइट्स अच्छा करने से अधिक नुकसान कर सकती हैं. अक्सर साइबर अपराधियों द्वारा उत्पन्न खतरों के खिलाफ यूजर्स के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए पासवर्ड अपराधियों को उपलब्ध कराया जाता है.

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इंग्लैंड की प्लेमाउथ विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने यह बात सामने आई है कि 16 अंकों के पासवर्ड रखने वालों के आम लोगों के मुकाबले इस प्रकार के एनकाउंटर में पड़ने की अधिक संभानवा है. कंप्यूटर फ्रॉड एंड सिक्योरिटी में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि विभिन्न वेबसाइटों में दी जाने वाली सलाह में भिन्नता है.

स्मार्टफोन पर औसत भारतीय हर साल बिताते हैं 1,800 घंटे, हो सकता बुरा असर

स्मार्टफोन (Smartphone) पर भारतीय (Indian) औसतन प्रति वर्ष 1,800 घंटे बिताते हैं. एक सर्वे ने शुक्रवार को बताया कि चार में से तीन उत्तरदाताओं ने कहा कि यदि स्मार्टफोन का वह ऐसे ही इस्तेमाल करते रहे तो यह उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.

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साइबर मीडिया रिसर्च (CMR) और चाइना की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वीवो के ज्वाइंट सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने कभी भी अपने सोशल मीडिया हैंड्ल्स से दूर रहने का प्रयास नहीं किया और वह अपने फोन के बिना नहीं रह सकते हैं. जबकि अधिकतर उत्तरदाताओं ने कहा कि वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ वर्चुअल बातचीत के पक्षधर हैं.

इंटरनेट बंद होने पर भी इस ऐप से होता है संदेशों का आदान-प्रदान

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए देश के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बाधित करने के बावजूद ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. माना जा रहा है कि ऐसा प्रदर्शनकारियों की ओर से संदेशों के आदान-प्रदान के लिए फायरचैट नामक ऐप के इस्तेमाल के चलते हुआ, जो बगैर इंटरनेट के चलता है.

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इन आशंकाओं को बल तब और मिला, जब हालिया शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच गूगल प्ले स्टोर पर फायर चैट ऐप ट्रेडिंग में भी रहा. गूगल प्ले स्टोर से अब तक दस लाख बार फायर चैट को डाउनलोड किया जा चुका है। यह ऐप बिना इंटरनेट के काम करता है. ब्लूटूथ और वाईफाई के जरिए काम करता है.

Source : आईएएनएस

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