डिजिटली ठग अब ई-केवाईसी (e-KYC) के नाम पर लोगों के खातों की डिटेल जान रहे हैं. ठगों का तरीका ऐसा है कि आपकी पकड़ में आना बहुत मुश्किल है. इसको लेकर गृह मंत्रालय (home Ministry)भी अलर्ट कर चुका है. साथ ही साइबर सेल भी रोजाना ई-केवाईसी के नाम पर फ्रॅाड (KYC fraud)की सैंकड़ों शिकायतें आ रही हैं. साइबर सेल (cyber cell) अधिकारियों का मानना है कि आजकल सबसे अधिक फ्रॉड ई-केवाईसी (e-KYC) के नाम पर हो रहा है. धोखेबाज खुद को सर्विस प्रोवाइडर (service provider) बताते हुए आपको फोन कर सकते हैं. फोन पर ये कह सकते हैं कि आपके बैंक खाते में केवाईसी नहीं है. यह जल्द ही बंद हो जाएगा. फ्रॉड (KYC fraud)करने वाले यह भी कह सकते हैं कि आपका बैंक खाता बंद है. अगर उसे फिर चालू कराना चाहते हैं तो तुरंत आधार डिटेल और बैंक अकाउंट डिटेल दें. बस यहीं ग्राहक फंस जाता है और पॅाकेट से आधार निकालकर सारी डिटेल शेयर कर देता है. जिसके बाद ये लोग अधिक अमाउंट वाले अकाउंट में सबसे पहले सेंध लगाते हैं.
यह भी पढ़ें : अब रेल यात्रियों को नहीं होगी परेशानी, इन 72 ट्रेनों में मिलेगी कंफर्म सीट
आपको बता दें कि ठग ठगी का नया-नया तरीका खोजते रहते हैं. उनका मतलब बस ग्राहक को झांसे में लेना है. नया यह फ्रॉड व्हाट्सऐप मैसेज के जरिये किया जा रहा है. फ्रॉड करने वाले यानी कि धोखेबाज ग्राहकों को मैसेज भेजते हैं जिसमें लिखा होता है कि फलां नंबर पर ईकेवाईसी को अपलोड कर दें. अगर ईकेवाईसी नहीं कराते हैं तो आपका मोबाइल नंबर बंद हो जाएगा. इस बात से परेशान होकर कोई मोबाइल यूजर मैसेज वाले नंबर पर कॉल करता है. कॉल करने पर फ्रॉडस्टर यूजर के मोबाइल में टीम व्यूअर ऐप डाउनलोड करने के लिए कहता है. टीम व्यूअर डाउनलोड करने के साथ ही आपके मोबाइल का पूरा एक्सेस उस धोखेबाज के नियंत्रण में चला जाता है. जिसके बाद वह आपको गच्चा देने की प्लानिंग बनाता है.
क्या की गाइडलाइन
RBI के मुताबिक, इस तरह के फ्रॉड को विशिंग कहते हैं जिसमें फ्रॉडस्टर खुद को कंपनी या बैंक का कर्मचारी बताते हैं. और आपसे जानकारी जुटा लेते हैं. फ्रॉडस्टर खुद को नॉन बैंक ई-वॉलेट प्रोवाइडर या टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर भी कह सकते हैं. खाता बंद होने, सिम कार्ड ब्लॉक होने या डेबिट-क्रेडिट कार्ड ब्लॉक होने का खतरा दिखाकर ग्राहकों से केवाईसी की जानकारी मांगी जाती है. फिर धोखे से बैंक खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं. दूसरी ओर फिशिंग की घटना में ग्राहक को मेल या एसएमएस भेजा जाता है और किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक कर बैंकिंग से जुड़ी जानकारी चुराई जाती है.
Source : News Nation Bureau