Bharat Band 8 December 2020: बैंक कर्मचारी संगठनों (Bank Employees Organizations) ने मंगलवार को किसानों के ‘भारत बंद’ में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है. हालांकि, उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है. पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है. अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि संगठन किसानों के आंदोलन का समर्थन करता है लेकिन वह उनके बंद में शामिल नहीं होगा.
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इसी तरह अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि संगठन हड़ताल पर नहीं जाएगा लेकिन वह किसानों के विरोध का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि किसानों को समर्थन देने के लिए उसके सदस्य मंगलवार को काम पर कालपट्टी बांध कर जाएंगे. वहीं बैंकों में कामकाज शुरू होने से पहले और बाद में किसानों के समर्थन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन भी करेंगे.
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रेलवे यूनियन एआईआरएफ, एनएफआईआर ने 'भारत बंद' के समर्थन का फैसला किया
रेलवे के दो सबसे बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के विरोध में आठ दिसंबर को बुलाए गए ''भारत बंद'' को अपना समर्थन दिया है. ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) ने अपने सदस्यों को आठ दिसंबर को धरना-प्रदर्शन आयोजित कर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने को कहा है. एआईआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने सिंघु बॉर्डर जाकर प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि रेलवे यूनियन के सदस्य इस लड़ाई में उनके साथ हैं.
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मिश्रा ने कहा कि हमने भारतीय रेलवे के अपने सभी संबंद्ध सहयोगियों को पत्र लिखकर किसानों की जायज मांगों को पूरा करने के संघर्ष में उनका साथ देने के वास्ते आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करने को कहा है. मैंने सभी संबंद्ध सहयोगियों को केंद्र सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ पहले ही भोजनावकाश के घंटे के दौरान धरना-प्रदर्शन और रैली आयोजित करने की सलाह दी है. मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार किसानों की जायज मांगों का संज्ञान लेकर उन्हें जल्द से जल्द पूरा करेगी. वहीं, एनएफआईआर के महासचिव एम राघवैया ने एक बयान में कहा कि रेलवे परिवार नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत ''अन्नदाता'' के संघर्ष में उनके साथ है. यूनियन नेताओं के मुताबिक, दोनों संगठनों में करीब 13 लाख रेलवे कर्मचारी शामिल हैं जबकि 20 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी भी इसका हिस्सा हैं.