केंद्र सरकार अब नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ा फैसला करने जा रही है. इसके तहत एक साल नौकरी करने वालों को भी ग्रेच्युटी मिलेगी. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक मोदी सरकार सोशल सिक्योरिटी एंड ग्रेच्युटी नियम में बदलाव करने जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन बिल लाने जा रही है. इस बिल में ग्रेच्युटी के लिए निर्धारित 5 साल की लिमिट को कम करके एक साल किया जा सकता है. दरअसल अभी ग्रेच्युटी उन्हीं लोगों को मिलती है, जो किसी कंपनी में लगातार पांच साल तक नौकरी करते हैं.
पांच साल से पहले नौकरी छोड़ने पर ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. नियम बदलने से प्राइवेट नौकरी करने वाले उन लोगों को बड़ी सहूलियत होगी, जो 5 साल से पहले नौकरी बदल देते हैं. ग्रेच्युटी आपकी सीटीसी का हिस्सा होती है. इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए है.
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आम बजट के पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत दी गई थी. सरकार की ओर से कर्मचारियों की ग्रेच्युटी को डबल कर दिया गया. पहले यह लिमिट 10 लाख की थी, जिसे बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है. ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को किया जाता है. यह उन सभी संस्थानों पर लागू होता है, जिसमें 10 या इससे अधिक कर्मी होते हैं.
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रिटायर होने के बाद कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना इसका मुख्य मकसद है. कर्मचारी अगर कंपनी या संस्थान में रिटायरमेंट के बाद या फिर शारीरिक अपंगता के चलते काम करना बंद कर दे तो उसे शर्तों के साथ ग्रेच्युटी मिलती है. ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को तभी मिलती है जो नौकरी में लगातार करीब 5 साल तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है. आमतौर पर 5 साल की सर्विस के बाद ही कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है.
ग्रेच्युटी का गणित
आमतौर पर लोगों को अपनी ग्रेच्युटी का पता नहीं होता है लेकिन इसका कैलकुलेशन बेहद आसान है. दरअसल, 5 साल की सर्विस के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है. इसके बाद सर्विस में दिए गए सालों की संख्या से भाग दिया जाता है. इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है. जो रकम बनती है वही आपकी ग्रेच्युटी है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो