सहकारी बैंक अब आरबीआई (RBI) की निगरानी में आ गई है. 24 जून को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला किया गया था कि सहकारी बैंक ( ( Cooperative bank) अब आरबीआई की निगरानी में काम करेगा. कैबिनेट ने इसे लेकर एक अध्यादेश पारित किया था जिस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो गए हैं. देश में 1482 शहरी सहकारी बैंक और 58 मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव बैंक हैं. कुल मिलाकर सभी 1540 सहकारी बैंक आरबीआई के निगरानी में काम करेंगे.
जावड़ेकर ने बताया कि इस फैसले से सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को भरोसा होग कि उनका पैसा सुरक्षित है. देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु- राज्यीय सहकारी बैंक है जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुये हैं. इन बैंकों में करीब 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है.
कई सहकारी बैंक में सामने आए थे घोटाले
सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आये हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है. पंजाब एण्ड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा. घोटाला सामने आने के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से ग्राहकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी.
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रिजर्व बेंक ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर नियामकीय अंकुश लगा दिये थे
पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमिततायें सामने आने के बाद रिजर्व बेंक ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर नियामकीय अंकुश लगा दिये थे. रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में भी पीपुल्स सहकारी बैंक, कानपुर पर भी निकासी से जुड़े प्रतिबंध लगा दिये.
सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 मार्च 2020 को लोकसभा में ‘‘बैंकिंग नियमन (संशोधन) विध्शेयक 2020’’ पेश किया था. यह अभी लंबित है. इस संशोधन विधेयक के जरिये रिजर्व बैंक कि बैंकिंग नियमक दिशानिर्देशों को सहकारी बैंकों पर भी लागू किया जायेगा. सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था.
ग्राहकों को अब ये फायदा होगा
सहकारी बैंक का आरबीआई की निगरानी में आने से ग्राहकों को क्या फायदा होने वाला है. इस बाबत कहा जा रहा है कि ग्राहकों के हित में यह फैसला लिया गया है. अब अगर कोई बैंक डिफॉल्टर होता है तो बैंक में जमा 5 लाख रुपए तक की राशि पूरी तरह सुरक्षित होगी. वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2020 को पेश किए बजट में इसे 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था.
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अब सहकारी बैंकों को आरबीआई के नियम मानने होंगे. जिससे देश की मौद्रिक नीति को सफल बनाने में आसानी होगी. इन बैंकों को भी अपनी कुछ पूंजी RBI के पास रखनी होगी. ऐसे में इनके डूबने की आशंका कम हो जाएंगी.
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जनता का विश्वास देश के को-ऑपरेटिव बैंकों में और बढ़ेगा. देश में बैंकों की वित्तीय हालात भी ठीक होने की दिशा में आगे बढेंगे.
Source : News Nation Bureau