केंद्र सरकर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 संबंधित मौतों के 'आधिकारिक दस्तावेज' जारी करने के लिए 3 सितंबर को संयुक्त रूप से एक दिशा-निर्देश जारी किए थे. शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि मृतकों के परिजनों को मौत के कारण का चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने भी 3 सितंबर को एक परिपत्र जारी किया है. केंद्र ने कहा कि रीपक कंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों और गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों में 30 जून के फैसले के अनुपालन में दिशा-निर्देश और परिपत्र जारी किए गए हैं.
इन्हें बनाया गया पैमाना
दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 मामले वे हैं जिनका निदान पॉजिटिव आरटी-पीसीआर /आणविक परीक्षण/आरएटी के माध्यम से किया जाता है या एक इलाज करने वाले चिकित्सक द्वारा अस्पताल में जांच के माध्यम से चिकित्सकीय रूप से निर्धारित किया जाता है. इसमें कहा गया है कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना से होने वाली मौतों आदि से होने वाली मौतों को कोविड-19 से मौत नहीं माना जाएगा, भले ही यह एक साथ की स्थिति हो.
आरबीडी अधिनियम के तहत फैसला
कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल की सेटिंग में या घर पर मर गए हैं और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मृत्यु के कारण का एक चिकित्सा प्रमाणपत्र (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है, जैसा कि धारा 10 के तहत आवश्यक है. जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम 1969 को कोविड -19 की मौत के रूप में माना जाएगा. भारत के महापंजीयक (आरजीआई) सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे. दिशा-निर्देश में कहा गया है कि कउटफ के अध्ययन के अनुसार कोविड के लिए सकारात्मक परीक्षण के 25 दिनों के भीतर 95 प्रतिशत मौतें होती हैं.
परीक्षण की तारीख से महीने भीतर मौत
इस दायरे को व्यापक और अधिक समावेशी बनाने के लिए परीक्षण की तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों या नैदानिक रूप से एक कोविड-19 मामले के रूप में निर्धारित होने की तारीख से होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा, भले ही मृत्यु अस्पताल/रोगी सुविधा के बाहर होती है. दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि एक कोविड-19 मामला, अस्पताल/रोगी सुविधा में भर्ती होने के दौरान, और जो 30 दिनों से अधिक समय तक उसी प्रवेश के रूप में जारी रहा और बाद में उसकी मृत्यु हो गई, उसे कोविड-19 से मौत के रूप में माना जाएगा.
HIGHLIGHTS
- SC ने केंद्र को कोरोना मौतों के मृत्यु प्रमाण पत्र के सरलीकरण का दिया था आदेश
- केंद्र ने कोरोना से मौत के मामलों में दस्तावेज जारी करने के दिशा-निर्देश जारी किए
- 3 सितंबर को मृतकों के परिजनों को मृत्यु का चिकित्सा प्रमाणपत्र देने का सर्कुलर जारी