Saving and Current Account Difference : बैंक में अकाउंट खुलवाने से पहले आपको उससे जुड़ी सारी जानकारी होनी चाहिए. आज भी भारत में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें सेविंग अकाउंट (Savind Account) और करंट अकाउंट (Current Account) में अंतर समझ में नहीं आता. जब आप किसी बैंक में खाता खुलवाने जाते हैं तो आपको फॉर्म में ये पूछा जाता है कि कौन सा अकाउंट खुलवाना है. ज्यादातर लोग सेविंग अकाउंट पर भी चेक करते हैं. लेकिन क्या आपकी जरुरत सेविंग अकाउंट से पूरी होगी या करंट अकाउंट से ये जानकारी आपको होनी चाहिए. तभी आप सही बैंक अकाउंट का चुनाव कर पाएंगे. सेविंग और करंट अकाउंट दोनों ही बैंक अकाउंट के प्रकार हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य अंतर होते हैं:
सेविंग अकाउंट: (Saving Account)
उद्देश्य:
सेविंग अकाउंट का मुख्य उद्देश्य सैलरी और अन्य आम जनता के लिए सेविंग और पैसा जमा करना है. इसमें व्यक्ति अपनी बचत रखता है जो उसकी जरूरतों के लिए बाद में इस्तेमाल हो सकती है.
न्यूनतम बैलेंस:
सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस की शर्त रहती है, जो बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है. आमतौर पर यह राशि अधिक नहीं होती और इसे बैंक में बनाए रखना होता है.
ब्याज दर:
सेविंग अकाउंट में ब्याज की दर आमतौर पर कम होती है जब तुलना में करंट अकाउंट से.
चेक बुक:
सेविंग अकाउंट के लिए बैंक चेक बुक प्रदान करता है, जिसका उपयोग व्यक्ति विभिन्न लेन-देनों में कर सकता है.
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करंट अकाउंट: (Current Account)
उद्देश्य:
करंट अकाउंट का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक उद्देश्यों के लिए पैसा सुरक्षित रखना है. इसमें ज्यादा राशि जमा की जाती है जो निर्धारित समयानुसार लेन-देन के लिए उपयोग होती है.
न्यूनतम बैलेंस:
करंट अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता होती है, लेकिन यह सेविंग अकाउंट की तुलना में अधिक होती है.
चेक बुक और ओवरड्राफ़:
करंट अकाउंट के लिए चेक बुक भी उपलब्ध होता है, लेकिन यह आमतौर पर बिजनेस लेन-देन में उपयोग होता है. इसमें ओवरड्राफ़ सुविधा भी हो सकती है, जिसके तहत आप न्यूनतम बैलेंस से ज्यादा खर्च कर सकते हैं.
ब्याज दर:
करंट अकाउंट में ब्याज की दर सामान्यत: सेविंग अकाउंट से अधिक होती है, लेकिन इसमें ब्याज की राशि आमतौर पर ज्यादा नहीं होती.
इस तरह, सेविंग और करंट अकाउंट में विभिन्न उद्देश्य, सुविधाएं, और नियम होते हैं, और व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के आधार पर उनमें से किसी का चयन करता है.