अगर आप इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने के लिए गलत तरीके अपना रहे हैं तो सतर्क हो जाएं. दरअसल, टैक्स की चोरी को पकड़ने के लिए आयकर विभाग (Income Tax Department) ने मैनुअल के साथ मशीन यानी सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. जानकारों का कहना है कि बहुत से लोग सोचते हैं कि थोड़ी बहुत चालबाजियां करके टैक्स को बचाया जा सकता है और उसका पता आयकर विभाग को नहीं लगता है. ऐसे में अगर आप अभी तक ऐसा सोचते थे तो आप अपनी सोच को बदल लीजिए, क्योंकि आयकर विभाग ने टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए नए तरीके अपना लिए हैं.
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इन एजेंसियों से लेते हैं डेटा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आयकर विभाग की ओर से एक पोर्टल इनसाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पोर्टल के जरिए रिस्क पैरामीटर्स के आधार पर भारी-भरकम डेटा में से टैक्स चोरों के नाम निकालकर सरकार को दिया जा रहा है. उनका कहना है कि इस पोर्टल में एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया जा रहा है. अब आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इनसाइट पोर्टल पर ये डेटा आता कहां से है. तो आपको बता दें कि विदेशी एजेंसियों, बैंक, सीबीआई, ईडी और थर्ड पार्टियों से डेटा को लेकर इस पोर्टल पर डाला जाता है. कुल मिलाकर कहें तो टैक्स चोरी के बाद बचने के आसार काफी कम है.
आयकर विभाग की ओर से जिनके ऊपर आयकर रिटर्न में हेरफेर का शक है उनको नोटिस भेजना शुरू हो गया है. बता दें कि आईटी एक्ट में सेक्शन 148A जुड़ा है. इसके तहत आपके पास एक पत्र भेजा जाएगा और उसमें लिखा होगा कि आपके असेसमेंट ईयर को लेकर कुछ गड़बड़ी है और आपसे इसको लेकर जवाब मांगा जाएगा. आपको इस नोटिस के एक हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा. जवाब सही पाए जाने पर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
HIGHLIGHTS
- आयकर विभाग ने टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए नए तरीके अपनाए
- असेसमेंट ईयर में गड़बड़ी होने पर इसको लेकर जवाब मांगा जाएगा