Election Guidelines Update: पांच राज्यों व देश के आम चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल वोटर्स को लुभाने के लिए अनाब-सनाब खर्च करती हैं. जिसको लेकर कोर्ट के आदेश में पर वित्त आयोग सख्त हो गया है. जानकारी के मुताबिक इस बार राजनीतिक दलों के बेवजह खर्चों पर कैंची चलेगी. बतायाा जा रहा है कि पिछले साल अगस्त माह में ही इस प्लान को लेकर चर्चा हुई थी. जिसे लेकर आयोग एक्शन मोड़ में आ गया है. यदि कोई भी दल मुफ्त का सामान वोटर्स को लुभाने के बांटेगा तो संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी. क्योंकि इस बंदरबांट से चुनाव बहुत महंगे हो जाते हैं. साथ ही जनता का समर्थन भी डगमगा जाता है..
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आर्थिक स्थिरता होती है प्रभावित
15वें वित्त आय़ोग के अधिकारियों के मुताबिक राज्यों को टैक्स में हिस्सेदारी मिलना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि जनता के पैसे को खैरात में बांट दे. मुफ्ट के सामान बांटने से उनकी आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो जाती है. इसलिए इस बार चुनाव से पहले प्रत्येक राजनैतिक दल के खर्च पर पैनी नजर रखी जाएगी. ताकि मुफ्त की बंदरबांट पर लगाम लग सके. जानकारी के मुताबिक राज्यों के बढ़ते राजकोषीय घाटे और उन्हें मिलने वाले अनुदान को अब मुफ्त की योजनाओं से लिंक करने पर भी काम चल रहा है. अनुदान को मुफ्त की योजनाओं से लिंक होने के बाद राजनीतिक दलों को मुफ्त में खैरात बांटने से पहले सोचना जरूर पड़ेगा...
अपील हो चुकी है दायर
आपको बता दें कि इससे पहले भी चुनाव के समय मुफ्त की बंदरबांट पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हो चुकी है. जिसमें पता चला था कि इस तरह की मुफ्तखौरी से राज्यों पर कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है. यही नहीं कई राज्यों का कर्ज तो उनकी कुल जीडीपी के 40 प्रतिशत से भी अधिक है. सूत्रों का मानना है कि वित्त आयोग के अधिकारियों ने चुनाव आयोग इसका पूरा मसौदा बनाकर भेजा है. जिस पर चुनाव से पहले अमल होना बताया जा रहा है. हालांकि 5 राज्यों के चुनाव होने में अभी समय बचा है तो कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है..
HIGHLIGHTS
- साल के अंत तक होने हैं 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव
- वोटर्स के लुभाने के लिए राजनीतिक दल करते हैं मोटा खर्च
- वित्त आयोग ने इस चलन को बंद करने के लिए बनाया फुलप्रूफ प्लान
Source : News Nation Bureau