Electric Vehicle: नितिन गडकरी (Nitin Gadkari)की कोशिश है कि 2030 तक भारत का सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वहीकल (electric vehicle) में रूपांतरित हो जाए, जिससे कच्चे तेल को खरीदने में विदेशी मुद्रा की बचत हो सके और भारत खाड़ी देश पर पेट्रोल के लिए निर्भर ना रह पाए. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि अभी लिथियम का रिजर्व (reserve of lithium)भले ही ऑस्ट्रेलिया, चिली और अर्जेंटीना जैसे देश हो लेकिन लिथियम अयस्क को फाइनेंस प्रोडक्ट बनाने की तकनीक सिर्फ चीन के पास है, तो ऐसा तो नहीं जब भारत में इलेक्ट्रिक वहीकल की बहुलता हो तब हमारी निर्भरता ड्रैगन पर ज्यादा हो जाए ? इसलिए अब जितने भी हाईवेज बनाए जा रहे हैं, इलेक्ट्रिक वाहनों को ध्यान में रखते हुए ही उन पर काम चल रहा है.
इसी देखती हुई भारत और तालिबान मिलकर इस तरह की बैटरी बना रहे हैं ,जिसमें कम से कम चाइना में बने हुए लिथियम सेल का प्रयोग किया जाए. इसका उत्पादन भारत के पुणे में इतना ज्यादा किया जाए, जिससे लिथियम आयन बैटरी में भारत की आत्मनिर्भरता हो, बल्कि भारत के जरिए दुबई ,संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब समेत खाड़ी के देश और अफ्रीका के देशों में भी बैटरी को निर्यात किया जाता है. जैसे ही इसकी मैनिफेक्चरिंग भारत में बढाई जाएगी. वैसे ही इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी.
आपको बता दें कि भारत अपने आप में बहुत बड़ा बाजार है ,भारत सरकार की फेम इंडिया पार्ट 2 योजना के तहत भारत के शहरों में आने वाले कुछ सालों के अंदर 7,000 इलेक्ट्रिक बसों को उतारा जाएगा. यही वजह है कि ताइवान की बड़ी कंपनियां भारत की कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर करके भारत को लिथियम आयन बैटरी का हक और मुख्य निर्यातक देश बनाना चाहते हैं .
HIGHLIGHTS
- 2030 तक सार्वजनिक परिवन को इलेक्ट्रिक में तब्दील करने की कवायद
- पेट्रोल-डीजल खरीदने में होता देश के बड़े फंड का नुकसान