कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने इंप्लाई के प्रोविडेंड फंड, पेंशन और इंश्योरेंस कंट्रीब्यूशन डिपॉजिट करने में चूक को लेकर जुर्माने की दर में बदलाव किया है. इसमें देरी करने वाले एम्प्लॉयर्स पर जुर्माने की दरों को कम करने का निर्णय लिया है. पहले कर्मचारियों पर तरह का चार्ज 25 फीसदी तक था. मगर अब इसे कम करके बकाया का प्रति माह 1 फीसदी या 12 फीसदी सालाना किया गया है. इस फैसले से ईपीएफओ की ओर से कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
श्रम मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, एम्प्लॉयर से जुर्माना तीन स्कीम पेंशन स्कीम (EPS), एम्प्लाई प्रोविडेंड फंड (EPF) स्कीम और EPFO के तहत एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (EDLI) के तहत हर माह कंट्रीब्यूशन के बकाया का 1 फीसदी या हर साल 12 फीसदी की दर से वसूला जाने वाला है.
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अब तक कितना था जुर्माना
जुर्माने की बात अगर की जाए तो अभी तक दो माह की चूक पर 5 फीसदी वार्षिक, दो से अधिक और चार महीने से कम पर दस फीसदी का पैनाल्टी लगाया गया था. वहीं 4 माह से ज्यादा और छह माह से कम पर 15 फीसदी की पैनाल्टी तय की जाती थी. अगर यह चूक छह माह या उससे अधिक होती है तो 25 फीसदी तक का जुर्माना हर वर्ष लगाया जाता था. अब नए जुर्माने का नियम अधिसूचना तारीख से लागू होगा.
जानें नियोक्ता पर क्या होने वाला है असर
इस नए नियम के तहत, एम्प्लॉयर को कम जुर्माना भरना होगा. इसके साथ ही 2 माह या 4 माह की चूक होने पर जुर्माने की राशि हर माह एक फीसदी के हिसाब बढ़ेगी. इसका मतलब है कि नियोक्ता को लेकर जुर्माने की राशि करीब दोगुनी से भी कम है. आपको बता दें कि नियम के तहत वर्तमान में नियोक्ता को लेकर हर माह की 15 तारीख को या उससे पहले बीते महा रिटर्न EPFO के पास दाखिल करना अनिवार्य है. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके बाद किसी भी तरह की देरी को डिफॉल्ट में शामिल किया जाएगा. इसके साथ जुर्माना लागू हो जाएगा.
Source : News Nation Bureau