किसी भी फाइनेंशियल ईयर में अगर टैक्सपेयर्स देय राशि तय सीमा तक नहीं भरते हैं तो टैक्सपेयर को बिलेटेड आईटीआर भरने का विकल्प दिया जाता है. यदि आपने भी अभी तक देय राशि जमा नहीं की है तो आप इसे 31 मार्च 2022 तक जमा कर सकते हैं. बता दें बीते साल 2020 में टैक्सपेयर्स को टैक्स पे करने के दो विकल्प दिए गए थे, जिसमें देनदार के पास पुराना और नया टैक्स स्लैब (Old and New Tax Slab) का विकल्प था.
नए और पुराने टैक्स स्लैब में अंतर करते हुए क्लीयर कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि नया टैक्स स्लैब दो मायनों में पुराने स्लैब से अलग है. इसमें कम दर के साथ अधिक स्लैब हैं और नई व्यवस्था अपनाने पर करीब 70 तरह की छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुराने टैक्स स्लैब में मिलता है.
यह भी पढ़ें: अब बेरोजगार भी आसानी से पा लेंगे नौकरी, EPFO दे रहा बेरोजगारों को मौका
दोनों टैक्स में कौन सा है बेहतर विकल्प अर्चित गुप्ता बताते हैं कि टैक्सपेयर्स को अपनी आय पर सभी तरह की छूट और कटौती का लाभ उठाने के बाद लागू सामान्य दरों पर टैक्स देनदारी की गणना करनी चाहिए. पुराने स्लैब के तहत नौकरीपेशा व्यक्ति LTA, HRA,स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये की छूट का दावा कर सकते है. इसके अलावा, व्यक्तिगत करदाता हाउसिंग लोन के ब्याज और NPS योगदान आदि पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा कर सकते हैं. करदाता को सुझाव दिया जाता है कि नए टैक्स स्लैब के अनुसार अपनी कमाई पर टैक्स देनदारी की गणना करे.
जहां नई टैक्स व्यवस्था में सबसे अधिक टैक्स सालाना 15 लाख रुपये और उससे अधिक की कमाई पर लगता है. यह व्यवस्था उन टैक्सपेयर्स को लाभ देगी जो कम छूट और कटौती क्लेम करते हैं. टैक्सपेयर्स जो ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं और जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया है, उन्हें इस व्यवस्था से लाभ नहीं होगा. जो लोग नए स्लैब की दरों को अपनाना चाहते हैं, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80C, 80D, हाउसिंग लोन, एनपीएस जैसी तमाम छूट का विकल्प छोड़ना होगा.
यह भी पढ़ें: अगर आप भी करते हैं म्युचुअल फंड में इनवेस्ट, तो कर लें ये काम वरना अटक जाएगा पैसा
जिन टैक्सपेयर्स की उम्र 30 साल से कम है उनके लिए नया टैक्स स्लैब फायेदामंद रहेगा. वहीं 30 से अधिक उम्र वाले टैक्सपेयर्स के लिए पुराना टैक्स स्लैब बेहतर होगा.10 लाख रुपये से कम कमाने वाले लोगों के लिए नया सिस्टम बेहतर हो सकता है. इससे ज्यादा इनकम वालों के लिए पुराने सिस्टम में ही बने रहना ठीक होगा. होम लोन चलने की स्थिति में होम लोन का रीपेमेंट करना सही रहेगा, इसमें डिडक्शन का फायदा मिलेगा. जिन टैक्सपेयर्स को बच्चों की स्कूल फी भरनी होती है उनके लिए पुराने सिस्टम ठीक होगा क्योंकि फीस पर टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: Indian Railway: बादलों के ऊपर दौड़ेंगी ये ट्रेनें, रेलवे ने बनाया दुनिया का सबसे ऊंचा पुल
दोनों टैक्स स्लैब का क्या रहेगा प्रभाव
2,50,001 से 5 लाख 5 फीसदी 5 फीसदी
5,00,001 से 7.5 लाख 20 फीसदी 10 फीसदी
7.5 से 10 लाख 20 फीसदी 15 फीसदी
10 लाख से 12.5 लाख 30 फीसदी 20 फीसदी
12,50,001 से 15 लाख 30 फीसदी 25 फीसदी
15 लाख से ज्यादा 30 फीसदी 30 फीसदी
किन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान
नौकरीपेशा या पेंशनभोगी, जिनकी बिजनेस से कोई आय नहीं है उनके लिए दोनों ही व्यवस्था एक जैसी रहेगी, इसलिए किसी का भी चुनाव किया जा सकता है
अगर कमाई का स्रोत कोई बिजनेस है तो नई व्यवस्था चुनने के बाद सिर्फ एक बार पुरानी पर लौटा जा सकता है
जिन टैक्सपेयर्स की सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है उन्हें किसी भी व्यवस्था में टैक्स पे नही करना होगा.
वरिष्ठ कर दाताओं को भी नई व्यवस्था में ज्यादा छूटें नहीं मिलती हैं.
HIGHLIGHTS
- नया टैक्स स्लैब 15 लाख रुपये और उससे अधिक की कमाई पर लगता है
- नौकरीपेशा या पेंशनभोगी के लिए एक जैसी रहेगी दोनों व्यवस्था