देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से जूझ रहा है. ऐसे में देश पर एक और गंभीर बीमारी का संकट मंडराने लगा है. ये बीमारी है ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ (Mucormycosis). इस बीमारी का दायरा बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहा है. देश के कई हिस्सों में ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ चुके हैं. इनमें से कई मरीज तो अपनी जान तक गंवा चुके हैं. ऐसे में अब एम्स ने इस बीमारी को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन में बताया गया है कि ब्लैक फंगस बीमारी के क्या लक्षण हैं? कौन से मरीज हाई रिस्क पर है और इससे कैसे निपटा जा सकता है.
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बता दें कि अभी तक महाराष्ट्र में 90 लोग इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. तो वहीं राजस्थान में भी इसके 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. राजस्थान में इस बीमारी के इळाज के लिए अगल से वार्ड बनाए गए हैं. यूपी के भी कई जिलों में इस बीमारी के मरीज सामने आ चुके हैं.
कौन से मरीज हाई रिस्क पर
- एम्स ने अपनी गाइडलाइन में बताया है कि ऐसे मरीज जिनकी डायबटीज कंट्रोल से बाहर है, वो हाई रिस्क पर हैं. इसके अलावा स्टीरॉयड लेने वाले डायबिटिक पेशेंट को ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक है.
- डायबिटिक केटोएसिडोसिस (DKA) यानी ऐसे मरीज जिनके शरीर में शरीर में सर्कुलेट होने वाले इंसुलिन का लेवल कम है, वो भी हाई रिस्क पर हैं.
- इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी दुर्बल करने वाली बीमारी के मरीजों को भी ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है.
- ऐसे कोरोना संक्रमित मरीजों को भी ब्लैक फंगस होने का खतरा है जो नाक और मास्क के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
ब्लैक फंगस का कैसे पता चलेगा?
- नाक से खून बहना, पपड़ी जमना या काला-सा कुछ निकलना.
- नाक का बंद होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, धुंधला दिखना, आंखों का लाल होना, कम दिखाई देना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना.
- चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना.
- मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना.
- ऐसे लक्षणों का पता लगाने के लिए हर रोज़ खुद को चेक करें, अच्छी रोशनी में चेक करें ताकि चेहरे पर कोई असर हो तो दिख सके.
- दांतों का गिरना, मुंह के अंदर या आसपास सूजन होना.
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ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने पर क्या करें?
- ऐसा कोई भी लक्षण मिले तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके लिए आप ईएनटी या ophthalmologist को दिखा सकते हैं.
- डायबिटिक पेशेंट का शुगर कंट्रोल करना और लगातार उनकी मॉनिटरिंग करना.
- स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स या एंटिफंगल की कोई भी दवा अपने आप न लें. जो भी दवा हो, डॉक्टर की सलाह से ही लें.
ब्लैक फंगस इलाज के दौरान ये जांच कराई जा सकती हैं
बीआई शुगर, आरएफटी, कल्चर टेस्ट के लिए नाक से स्वाब, चेस्ट एक्सरे, एमआरआई, सिटी स्कैन, पीएनएस, एंडोस्कोपी और वैसे कोई भी टेस्ट जो डॉक्टरों के द्वारा सुझाए जाएंगे.
HIGHLIGHTS
- देश के कई हिस्सों में मिले ब्लैक फंगस के मरीज
- ब्लैक फंगस के लिए एम्स ने जारी की गाइडलाइन