Indian Railaway Latest News: अगर आप भी ट्रेन में सफर करते हैं तो यह खबर आपके लिए ही लिखी जा रही है. अक्सर पैसेंजर ट्रेन यात्रियों की भीड़ से खचाखच भरी होती है. लोगों की बढ़ती भीड़ के बावजूद भी ट्रेन में अतिरिक्त डिब्बे नहीं जोड़े जाते हैं. ऐसा ना करने के पीछे की वजह शायद आप भी नहीं जानते होंगे. इन दिनों वैशाली एक्सप्रेस, शिवगंगा एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के जनरल डिब्बे (General Coach) यात्रियों की भीड़ होती है, जिसके बावजूद भी सेकंड क्लास के डिब्बों की संख्या को नहीं बढ़ाया जा रहा है. अगर आपके मन में ये सवाल आता है तो इस आर्टिकल में हम आपको सारे जवाब देंगे. दरअसल ट्रेन में लोगों की बढ़ती भीड़ के बावजूद भी अतिरिक्त डिब्बे नहीं जोड़े जाते क्योंकि ऐसा करना बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है.
ट्रेन में कोच जोड़ने की होती है लिमिट
इस सवाल के जवाब पर रेलवे अधिकारियों का कहना है कि किसी भी ट्रेन में कोच जोड़ने की होती है जोड़ने की एक सीमा होती है. अगर अतिरिक्त डिब्बे जोड़े जाएं तो ऑपरेशनल दिक्कतें (Operational Problems) आ सकती हैं साथ ही दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है.
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24 मीटर के लूप के हिसाब से लगते हैं डिब्बे
किसी भी ट्रेन में डिब्बों की संख्या 24 मीटर लूप के हिसाब से तय की जाती है. इस लूप में जितने डिब्बे फिट हो सकते हैं उतने ही जोड़े जाते हैं. इंडियन रेलवे के इंजीनियर जानकारी देते हैं कि किसी ट्रेन में ट्रेडिशनल आईसीएफ कोच और जर्मन तकनीक वाले एलएचबी डिब्बों का विकल्प मिलता है. अगर ट्रेन में ट्रेडिशनल आईसीएफ कोच व्यवस्था होगी तो 24 कोच होंगे, जबकि जर्मन तकनीक वाले एलएचबी डिब्बों की व्यवस्था में केवल 22 ही कोच हो सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- भीड़ के बाद भी जनरल कोच के डिब्बों की संख्या नहीं बढ़ती
- डिब्बों की संख्या बढ़ाने से दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है
- लूप की लंबाई के हिसाब से ट्रेन में डिब्बों की संख्या तय