Indian Railway News: भारत की एक बड़ी आबादी पैसेंजर ट्रेन में सफर करती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में मौजूदा समय में 12,167 पैसेंजर ट्रेन और 7,349 मालगाड़ी परिचालन में हैं. बता दें कि देश में रोजाना तकरीबन 23 मिलियन लोग ट्रेन से सफर करते हैं, जो कि आस्ट्रेलिया की पूरी आबादी के बराबर है. बता दें भारतीय रेलवे एशिया के दूसरे और दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के तौर पर जाना जाता है. अगर आप ट्रेन में सफर करते हैं तो आपको पता होगा कि ट्रेनों में कई तरह के कोच होते हैं जिनमें AC, जनरल और स्लीपर शामिल हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ट्रेन आखिर रिटायर कब होती है यानी कि उसे सेवा से कब बाहर कर दिया जाता है?
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25 साल में खत्म होता है पैसेंजर ट्रेन का सर्विस पीरियड
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यात्रियों को सेवाएं देने वाले इंटीग्रल कोच फैक्टरी (Integral Coach Factory-ICF) कोच की कोडल लाइफ (Codal Life) 25 साल होती है, जिसका मतलब साफ है कि पैसेंजर ट्रेन अधिक से अधिक 25 साल तक ही सेवा में रह सकती है. 25 साल के दौरान भी यात्री कोच को हर 5 या 10 साल में एक बार मरम्मत और मेंटेनेंस की जरूरत होती है.
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रिटायर करने के बाद भी होता है ट्रेन का इस्तेमाल
25 साल के बाद यात्री कोच के रिटायर होने के बाद उसको ऑटो कैरियर में बदल दिया जाता है. इस ट्रेन का नाम NMG (Newly Modified Goods वैगन) रेक कर दिया जाता है. बता दें कि इस वैगन को ऐसा बनाया जाता है जिसमें कार, मिनी ट्रक और ट्रैक्टरों को आसानी से लोड और अनलोड किया जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- यात्री ट्रेनों के कोच की कोडल लाइफ 25 साल होती है
- 25 साल बाद नाम बदलकर NMG रेक किया जाता है
- NMG रेक में सामान लोड-अनलोड किया जा सकता है