अक्सर सभी लोग मोबाइल फोटो खींच कर उनको गैलरी में सेव करके बाद में उन यादों को ताज़ा करते हैं. उसके बाद वीडिओ कॉल जैसी सुविधा आने पर लोगों के बीच की दूरी भी अब कम हो गई है. आप बस कैमरें के इस पार बैठकर सामने वाले इंसान को देख सकते हैं बातें कर सकते हैं और उस पार बैठा इंसान भी आपसे कांटेक्ट कर सकता है. लोग अक्सर इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर दूसरों की प्रोफाइल स्टॉक करते हैं, वो क्या कर रहे हैं , कहां हैं लेकिन क्या आपको पता है कि मोबाइल या कैमरे के उस पार बैठा इंसान आपकी प्रोफाइल नहीं बल्कि आपकी निजी ज़िन्दगी की बातें भी पता लगा सकता हैं. सुनने में थोड़ा सा अटपटा लगेगा लेकिन ये आपको पहचानना है कि कहीं आपके पास कोई ऐसा ऐप तो नहीं जो आपकी निजी ज़िन्दगी के बारें में भी सबको बता रहा हो.
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कभी-कभी ऐसा होता है कि सामने वाले को कुछ ऐसी बातें पता होती हैं जो आपने उन्हें बताया भी नहीं होता लेकिन लगता है कि शायद कभी न कभी बात हुई होगी , अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो सावधान होने की ज़रुरत है कि कहीं आप Stalkerware के शिकार तो नहीं.
Stalkerware ऐप्स को नकली ऐप के नाम से फोन में छिपाया जाता है. इन संदिग्ध ऐप्स की पहुंच आमतौर पर यूजर के मैसेज, कॉल लॉग्स और व्यक्तिगत गतिविधि तक होती है. Stalkerware व्यावसायिक रूप से उपलब्ध सॉफ़्टवेयर है जिसका इस्तेमाल किसी अन्य व्यक्ति की उनके डिवाइस के जरिए से जासूसी करने के लिए किया जाता है - आमतौर पर एक फोन - उनकी सहमति के बिना. यह उस व्यक्ति को किसी दुसरे व्यक्ति के संदेश, स्थान, फ़ोटो, फ़ाइलें और यहां तक कि फ़ोन के आस-पास की बातचीत को देखने की इजाज़त भी देता है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साइबर स्पेस फर्म कैस्परस्काई की रिपोर्ट में भारत में लगभग 4,627 मोबाइल यूजर्स को स्टॉकरवेयर का शिकार होना पड़ा है. स्टॉकरवेयर घरेलू हिंसा के क्षेत्र में उपयोग किया जाने वाला एक गुप्त निगरानी सॉफ्टवेयर है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि अगर महामारी और लॉकडाउन नहीं होता, तो संख्या और भी ज्यादा हो सकती थी. अक्टूबर में, Google ने उन यूज़र्स के लिए कई विज्ञापन हटा दिए जो संभावित उपयोगकर्ताओं को अपने साथी के फोन पर जासूसी करने के लिए प्रोत्साहित करते थे. इन ऐप्स का इस्तेमाल अक्सर माता-पिता द्वारा किया जाता है जो अपने बच्चे की गतिविधियों की निगरानी करना चाहते हैं - लेकिन इसके बजाय इसका गलत इस्तेमाल किया जाने लगा जहाँ पति या पत्नी अपने साथी की जानकारी दूर रहकर रखने लगे या फिर कोई दोस्त किसी के भी दोस्त की जानकारी इक्कठा करने लगा. उन ऐप्स में से एक, SpyFone, ऐप था जिस पर दूसरों की निजी ज़िन्दगी के बारें में नज़र रखने और सारी जानकारीयां लेने के लिए बैन लगा दिया गया था.
कैसे पहचाने स्टॉकवेयर फ़ोन में है या नहीं
- मोबाइल यूजर यह पता लगा सकते हैं कि उनके फोन में स्टॉकरवेयर इंस्टॉल्ड है या नहीं. सबसे पहले उन ऐप्स को हटाएं, जो यूज़ के नहीं है.
- एंड्रॉयड डिवाइस यूजर्स 'unknown sources' सेटिंग्स की जांच करें. यदि आपके डिवाइस पर 'unknown sources' इनेबल है, तो यह हो सकता है कि किसी अनवांटेड सॉफ्टवेयर को किसी थर्ड-पार्टी सोर्स से फोन में इंस्टॉल किया है.
-स्टॉकरवेयर डाउनलोड करने के लिए, अब्यूज यूजर को कुछ ऐसे वेब पेजों पर जाना होगा जिनके बारे में पहले यूज़र को पता नहीं होता. यदि अब्यूजर ने इसे मिटा दिया, तो हिस्ट्री भी नहीं मिलेगी. यदि पता चल जाए कि डिवाइस में स्टॉकरवेयर है, तो इसे हटाने में जल्दबाजी न करें. इससे सुरक्षा जोखिम बढ़ सकता है और कई बार अब्यूजर अपनी गलत हरकतों को बढ़ा भी सकता है.
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टाइनीचेक टूल से भी कर सकते हैं बचाव
2019 में, कैस्परस्काई ने 9 अन्य संगठनों के साथ मिलकर 'कोएलिशन अगेंस्ट स्टॉकरवेयर' लॉन्च किया , जिसके अब 30 सदस्य हैं. पिछले साल नवंबर में, कंपनी ने फ्री एंटी-स्टॉकरवेयर टूल जारी किया, जिसे 'टाइनीचेक' कहा जाता है ताकि गैर-लाभकारी संगठनों को घरेलू हिंसा के पीड़ितों की सहायता करने और उनकी निजी बातों की रक्षा करने में मदद मिल सके. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करवेयर का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल रूस में किया जाता है. इसके बाद भारत, ब्राजील, अमरीका और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं.