आज के वक्त में महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. चाहे गृहस्ती हो या कार्यस्थल, हर जगह महिलाएं अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं. मगर कई बार उनके साथ कुछ ऐसे वाकये भी पेश आते हैं, जिनसे उन्हें काम करने में काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में हमारे देश का कानून महिला उत्पीड़न को रोकने और महिलाओं की सुरक्षा को मजबूती देने के उद्देश्य से महिला उत्पीड़न अधिनियम' को पारित किया है, चलिए इस बारे में जानते हैं...
मुख्य प्रावधान:
- परिभाषा और स्वरूप: यह अधिनियम महिला उत्पीड़न की परिभाषा प्रदान करता है और कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्देश तय करता है.
- कमीशन का गठन: अधिनियम द्वारा एक विशेष कमीशन की स्थापना की गई है जिसका कार्य महिला उत्पीड़न के मामलों की जांच और समीक्षा करना है.
- उपाधिकारिता: महिलाओं को कार्यस्थल में समान उपाधिकार और उत्तराधिकारिता की गारंटी है, जिससे उन्हें समानता का भाव मिले.
- सुरक्षित कार्यान्वयन: अधिनियम के तहत कार्यस्थलों में सुरक्षित कार्यान्वयन की शर्तें निर्धारित की गई हैं ताकि महिलाएं सुरक्षित और अच्छे माहौल में काम कर सकें.
- प्रतिबंधित अदालती प्रक्रिया: महिला उत्पीड़न के मामलों की विशेष अदालती प्रक्रिया और सुनवाई को तेजी से सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय अधिनियम ने निर्धारित किए हैं.
महत्वपूर्ण प्रावधान:
- महिला को सुरक्षित स्थान: कार्यस्थलों में महिलाओं को सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल प्रदान करने का भी प्रावधान है.
- पूर्व-अनुसंधान: महिला उत्पीड़न के मामलों में शिकायत करने से पहले पूर्व-अनुसंधान करने का अधिकार है ताकि सजीव प्रमाण मिले.
- अदालती निर्णय का इंतजार: महिला को अदालती निर्णय का इंतजार करने का अधिकार है और इसमें उन्हें न्यायपालिका द्वारा सहारा प्रदान किया जाता है.
कार्यस्थल पर महिला उत्पीड़न अधिनियम ने महिलाओं को कार्यस्थल में समर्थन, सुरक्षा, और समानता का मिलना सुनिश्चित किया है, जिससे समाज में महिलाओं की भूमिका को मजबूती मिले और महिलाएं सुरक्षित महसूस करें.
Source : News Nation Bureau