केदारनाथ मंदिर के पीछे की पहाड़ियों में रविवार सुबह एक बार फिर से एवलांच आया है. हालांकि इस एवलांच से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है. इस बर्फीली पहाड़ी पर समय-समय पर एवलांच आते रहते हैं. वहीं पर्यावरण विद इस घटना को चिंता का विषय बता रहे हैं. केदारनाथ धाम के पीछे गांधी सरोवर की पहाड़ी पर रविवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट के करीब एवलांच आया. पहाड़ी से बर्फ काफी नीचे आ गई. पहाड़ी पर बर्फ दिखाई दी. इसके बाद केदानगरी में हलचल दिखाई दी. काफी देर तक यह एवलांच आता रहा. हालांकि इस पहाड़ी पर एविलांच आना किसी तरह की नई नहीं है. यहां समय समय पर एवलांच आते रहते हैं.
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वहीं पर्यावरण विद जगत सिंह जंगली ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है. इसे चिंता का विषय बताया है. उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं पर सोचने की जरूरत है. हिमालय क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्य और हेली कंपनियों की अनियमित उड़ानों के कारण इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. ऐसे में समय रहते हिमालय क्षेत्र को बचाने की जरूरत है.
क्या होता है एवलांच
एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल का कहना है कि ये एवलांच तब आता है,जब ऊंची चोटियों पर अधिक मात्रा में बर्फ जमी होती हे. वहीं दबाव अधिक होने पर बर्फ अपनी जगह से खिसक जाती है. यहां पर बर्फ की लेयर खिसक जाती है. ये तेज बहाव की वजह से नीचे की ओर बहती है. इसके रास्ते जो कुछ भी आता है, उसे ये बहा ले जाती है. ऐसे में पर्वतारोही के लिए यह समय काफी जोखिम भरा हो जाता है. इसके कारण कई बार लोगों अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है.
2013 में भयानक बाढ़ का मंजर
2013 में केदारनाथ में बादल फटने की वजह से भीषण बाढ़ का मंजर देखा गया था. इस बाढ़ में यहां पर सबकुछ तबाह हो गया. हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी. यहां पर काफी दिनों बाद केदारनाथ धाम में जनजीवन सामान्य हो सका था. में जनजीवन सामान्य हो सका था. ऐसे में एक बार फिर पहाड़ी से बर्फिला तूफान के नीचे आने से लोगों में दशहत देखी गई. इस दौरान लोगों की सांसें थम सी गई.
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