गोवा में इस समय एक रहस्यमयी किडनी बीमारी फैल रही है. उत्तरी गोवा में यह रोग तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. ऐसे में आयुर्वेद के छात्रों को गोवा से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर रिसर्च करना चाहिए. अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के गोवा स्थित उपकेंद्र में बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी बैच के इंडक्शन प्रोग्राम को संबोधित करते हुए गोवा यूनिवर्सिटी के उपकुलपति हरिलाल बी मेनन ने यह बात कहीं. उन्होंने कहा कि रिसर्च के बिना इस तरह की बीमारी को पता लगाना मुश्किल कार्य है. शोध के बाद ही पता चल पाएगा कि ऐसी बीमारियां क्यों दस्तक दे रही हैं.
गोवा में बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी बैच की शुरुआत
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के गोवा स्थित उपकेंद्र में पहली बार बीएएमएस यानि बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी बैच शुरू किया गया है. इसमें 100 छात्र हैं. इस कोर्स में आयुर्वेद पद्धति से मेडिसिन एंड सर्जरी की पढ़ाई कराई जा रही है. उपकुलपति हरिलाल बी मेनन इंडक्शन प्रोग्राम में आगे कहा कि भारत में इस समय रिसर्च कम हो रहे हैं, इसे बढ़ाने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में प्रमाण के लिए पश्चिमी देशों की तरफ न देखना पड़े. उन्होंने उत्तरी गोवा में फैले रहस्यमयी किडनी रोग का उदहारण देते हुए कहा कि इस प्रकार की कई बीमारिया उत्तरी गोवा में देखने को मिली और उन पर गहन शोध के बाद ही इनका इलाज संभव है.
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आयुर्वेद कैंपस के लिए किसानों ने दी जमीनें
वहीं, उत्तरी गोवा के धारगल क्षेत्र में करीब 50 एकड़ में आयुर्वेद कैंपस खोला गया है. यहां के किसानों ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के लिए जमीनें दी है. उत्तर गोवा के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने जमीन देने के लिए किसानों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के लिए यहां के किसानों ने दिल खोल कर अपनी जमीनें दी हैं. इससे राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी. जल्द ही यहां आयुष वीजा जैसी सुविधा शुरू होगी. इससे आने वाले समय में मेडिकल वैल्यू टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.