New Pension Scheme vs Old Pension Scheme: आजकल देश में एक खतरनाक बहस छिड़ी हुई हैं और वो है न्यू पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम के बीच. यहां तक कि अब लोग ये सोचने लगे हैं की उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम की तरफ वापस चले जाना चाहिए, लेकिन इससे बड़ी गलती शायद ही कोई होगी क्योंकि अगर ये स्कीम फिर से लागू हो जाती हैं. तो हो सकता है ये काफी हद तक हमारी अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दे. खैर ये तो एक राजनीतिक मुद्दा है. लेकिन ओपीएस और एनपीएस को लेकर देश में एक नई बहस जरूर छिड़ गई है. क्योंकि ज्यादातर लोग पुरानी पेंशन और नई पेंशन के अंतर को लेकर कन्फ्यूज हैं, इसलिए हम आज आपको इन दोनों ही पेंशन योजना के बीच का फर्क बताने जा रहे हैं.
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ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस काफी सिंपल थी. कोई भी गवर्नमेंट कर्मचारी अगर रिटायर होता है तो रिटायरमेंट के वक़्त जो उसकी सैलरी थी, उसका 50% हिस्सा हर महीने रिटायरमेंट के बाद उसे मिलता रहेगा. लेकिन फिर 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ये तय हुआ कि पेंशन स्कीम किस तरह भारत सरकार के खजाने को खाली कर रही है. इसके बाद एक नई स्कीम शुरू की गई, जिसे हम न्यू पेंशन स्कीम या एनपीएस कहते हैं.
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एनपीएस के तहत एक पेंशन फंड बनाया जाएगा, जिसमें हर महीने उस गवर्नमेंट कर्मचारी की सैलरी का 10% हिस्सा जमा किया जाएगा. और फिर 10% ही हिस्सा सरकार उसमें ऐड करेगी. इसे बाद में 14% कर दिया गया था. यानी अब कर्मचारी 10% देगा और सरकार 14% और इस रिफंड को अब एक फण्ड मैनेजर द्वारा मार्केट में इन्वेस्ट किया जाएगा ताकि इस पर रिटर्न मिलता रहे. इसका फायदा ये था की जब रिटायरमेंट के बाद महंगाई बढ़ चुकी होगी तो ये फण्ड भी बढ़ चुका होगा. इसके बाद इसका 60% हिस्सा रिटायर होते तुरंत मिल जाएगा और बाकी 40% अभी भी सरकार के पास रहेगा और हर महीने आपको इसका कुछ हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता रहेगा.
Source : News Nation Bureau