सन 2016 की नोटबंदी को कोई भूला नहीं है, जब एक झटके में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये गये थे. लोगों ने पूरे-पूरे दिन लाइन में लगकर पुरानी कैरेंसी (old currency) बैंक में जमा की थी. उसी की एवज में मार्केट में 2000 रुपए का नोट (2000 rupee note) लाया गया था. लेकिन इतना महंगा नोट भारतीयों की जेब में ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और अब नाम मात्र के प्रचलन में बचा है. स्थिति यह है कि मूल्यवान नोटों में 2000 के नोट की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है. रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट के भविष्य के बारे में भी लोगों को अलर्ट कर दिया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूद समय में 2000 के नोट की हिस्सेदारी महज 1.6 प्रतिशत ही रह गई है.
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घट रही है हिस्सेदारी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 के अंत में चलन में शामिल 2000 रुपये के मूल्यवर्ग वाले नोटों की संख्या 274 करोड़ थी. यह आंकड़ा चलन में कुल करेंसी नोटों की संख्या का 2.4 प्रतिशत था. इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ या दो प्रतिशत रह गई. जानकारी के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत तक रह गया है. जो चौकाने वाला है. यदि मूल्य के संदर्भ में बात करें तो मार्च 2020 में 2000 रुपये के नोट का कुल मूल्य, सभी मूल्यवर्ग के नोटों के कुल मूल्य का 22.6 प्रतिशत था.
आखिर कहां गए नोट?
जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी है क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं. एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं. इस बात की प्रबल संभावना है कि इन नोटों की कीमत अधिक होने के कारण काले धन के रूप में जमा किया गया हो. हालाकि ये आधिकारिक सूचना नहीं है. बताया जा रहा है कि 500 का नोट ही इस समय सबसे ज्यादा चलन में है. क्योंकि 2000 का नोट बहुत ज्यादा हो जाता है. इसलिए दुकानदार भी इसे लेने से बचते हैं.
Source : News Nation Bureau