Gratuity Rules: अगर आप भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं या पढ़ाकर रिटायर हो गए हैं तो ये खबर आपके बहुत काम की है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब निजी स्कूलों के टीचरों को भी ग्रेच्युटी के दायरे में रखा गया है. यही नहीं जो शिक्षक 1997 के बाद सेवा निवृत हुए हैं उन्हें भी संबंधित स्कूलों को ग्रेच्युटी देनी होगी. देश की शीर्ष अदालत ने निजी स्कूलों को ग्रेच्युटी का अधिकार देने वाले 2009 के कानून को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है. आपको बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर 20 से अधिक याचिकाओं को खारिज करते हुए फैसला सुनाया है. जिससे देश के लाखों शिक्षकों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा.
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उचित फोरम जा सकते हैं शिक्षक
आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने ग्रेच्युटी का भुगतान (संशोधन) कानून, 2009 के प्रावधानों को पूर्व की तिथि 3 अप्रैल, 1997 से लागू करने के निर्णय को वैध ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन सभी शिक्षकों को ग्रेच्युटी देनी होगी जिनका रिटायरमेंट 1997 के बाद हुआ है. ऐसे में निजी स्कूलों पर अतिरिक्त भार भी पड़ेगा. लेकिन ये फैसला कोर्ट ने लागू करने के आदेश दिये हैं. यही नहीं अगर शिक्षकों को पैसा पाने में कोई दिक्कत होती है तो वे उचित फोरम में जाकर इसकी याचिका दायर कर सकते हैं.
फैसले के मुताबिक देश के ऐसे सभी शिक्षकों को ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा जो 1997 के बाद नौकरी छोड़ चुके हैं या रिटायर हो गए हैं. "जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने 29 अगस्त को यह अहम फैसला दिया". कोर्ट की खंडपीठ ने ऐसी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. जिनमें शिक्षकों ग्रेच्युटी न देने की पैरवी की थी. आपको बता दें कि इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन आफ इंडिया और बहुत से अन्य निजी स्कूलों ने याचिकाएं दाखिल की थी.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाखों देशभर के लाखों शिक्षक होंगे लाभांवित
- कोर्ट ने 1997 से लागू करने के निर्णय ठहराया वैध
- जस्टिस संजीव खन्ना और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सुनाया फैसला
Source : News Nation Bureau