दुनिया भर में एलन मस्क (Elon Musk)और उनकी सल्फ ड्राइव टेस्ला कार को कौन नहीं जानता, जिसकी कीमत 40 लाख से भी ज्यादा है, टेस्ला भारत में उत्पादन और असेंबली प्लांट लगाने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में ताइवान की यह कंपनी आगे आई है. जो टेस्ला की तरह ही सेल्फ ड्राइव ऑटोनॉमस यानी बिना ड्राइवर के चलने वाली बस पर काम कर रही है. ऐसी बातें ताइवान में चलनी शुरू हो गई हैं और जल्द ही भारत के बड़े बड़े संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शुरुआती सालों के अंदर इन कांसेप्ट ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बसों को उतारा जाएगा. यही नहीं इन बसों में सड़क सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा. अगर इसकी स्पेसिफिकेशन की बात करें तो इसमें चार एक्टिव अरे रडार लगाए गए हैं ,जो आसपास के किसी भी वस्तु या वाहन का स्कैन करके उससे उचित दूरी बना सकते हैं. लेज़र और थर्मल डिवाइस भी लगाए गए हैं ,जिससे रात के समय में भी देखती बनी रहे बस में आसपास के बहनों से दूरी बना सकें और सड़क सुरक्षा को को ध्यान में रखते हुए 7 ऑल वेदर नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं ,इसके अंदर एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल से लेकर कई डॉप्लर एडवांस डिवाइस जैसे फीचर हैं.
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फिलहाल इस बस में 12 यात्री एक साथ सफर कर सकते हैं. आने वाले सालों में इसके कैपेसिटी और भी बढ़ाई जाएगी. एक बार चार्ज होने पर इसके जरिए बिना ड्राइवर की 120 किलोमीटर तक का सफर तय किया जा सकता है. अभी इसकी कीमत 3 करोड़ भारतीय रुपयों जितनी है, लेकिन आने वाले सालों में इसकी कीमत दो करोड़ तक पहुंचाई जा सकती है. भारत सरकार की टीम इंडिया प्रोजेक्ट के तहत 7000 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदा जा रहा है. इसके तहत ताइवान की कंपनी भारत की पुणे में एक बड़ा प्लांट लगा रही है. जिसमें इस तरह के अत्याधुनिक बसों का निर्माण किया जाएगा. इस वक्त में 8 कैमरे के साथ एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल लगाया गया है. जिससे इलेक्ट्रिक बसें सार्वजनिक परिवहन को अधिक सुरक्षित बना देगी.
एक बार चार्जिंग पर चलेगी 240 किमी
भारतीय सड़कों के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि बस स्टैंड से बुजुर्गों और दिव्यांगों के चढ़ने के लिए तो बस लोग फ्लोर होनी चाहिए ,लेकिन कई बार सड़कों की हालत खस्ता होती है, ऐसे में लो फ्लोर बसों का मेंटेनेंस काफी महंगा हो जाता है। इसी दुविधा और समस्या को दूर करने के लिए ताइवान किस कंपनी ने भारत के लिए एक विशिष्ट मॉडल की बस तैयार की है, जो इलेक्ट्रिक वहीकल है ,जिस की रेंज एक बार चार्ज करने पर 240 किलोमीटर तक हो सकती है ,लेकिन इसमें सबसे खास बात यह है कि हाइड्रॉलिक्स की मदद से कंप्यूटराइज तकनीक के जरिए इसकी पूरी की पूरी प्लेटफार्म को लो फ्लोर और उसके बाद हाइ फ्लोर किया जा सकता है ,यानी खराब सड़कों से लेकर सरपट एक्सप्रेसवे तक किसी भी तरह की कंडीशन पर चलने के लिए तैयार हैं ताइवान की तकनीक से बनने वाली मेड इन इंडिया बसें.
HIGHLIGHTS
- एलन मस्क की टेस्ला कंपने के इनकार करने के बाद अब ये कंपनी आई आगे
- ड्राइवरलेस बसों में सड़क सुरक्षा का भी रखा जाएगा खास ध्यान
Source : Rahul Dabas