OPS vs NPS: जब से हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की है. तब से एक बार फिर ओपीएस की मांग देशभर में बढ़ गई है. आपको बता दें हिमाचल के मुख्यमंत्री सुक्कू ने पहली कैबिनेट में ही पुरानी पेंशन राज्य कर्मचारियों को देने की घोषणा की थी. लेकिन देशभर के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि सूत्रों का दावा है कि पुरानी पेंशन वाली सभी सुविधाएं अब नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)के तहत भी कर्मचारियों को दी जाएगी. इसका पूरा मसौदा तैयार हो गया है..
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समिति गठित करने की चर्चा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबकि हाल ही में एनपीएस को आकर्षक और अनुकूल बनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. जानकारी के मुताबिक समिति बिना गैर-अंशदायी प्रणाली में बदलाव के ही पेंशन की गारंटी देने की सिफारिस करती है. यानि ओपीएस योजना के तहत जैसे आखीरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन कर्मचारी को मिलती थी. ठीक उसी तरह से एनपीएस में मिलना शुरू हो जाएगा. फिलहाल एनपीएस में पेंशन कर्मचारी के अंशदान के आधार बनाई जाती है. जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.
एनपीएस को लेकर कर्मचारियों का विरोध
दरअसल, देशभर के कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम के आधार पर ही पेंशन चाहते हैं. जिसको लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. पुरानी पेंशन स्कीम की बात करें तो इसमें सालाना 6-8% की बढ़ोतरी हो जाती है. जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है. इस भार को कम करने के लिए ही सरकार नेशनल पेंशन स्कीम लेकर आई थी. साथ ही उसे लागू किया गया था. रिटारयमेंट पर कर्मचारी को उस जमा राशि में से एक मुश्त निकालने की सुविधा मिलती है,. शेष रकम वह पेंशन के तौर पर निकासी करता रहता है. जबकि ओपीएस इसका उलट है. पुरानी पेंशन योजना के तहत यदि आपकी सैलरी रिटायरमेंट वाले माह में 1 लाख रुपए है तो उसका 50 फीसदी यानि 50000 रुपए कर्मचारी पेंशन मिलती रहेगी.
HIGHLIGHTS
- एनपीएस को प्रभावी बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने बनाई समिति
- अभी तक एनपीएस में पेंशन कर्मचारी के अंशदान के ऊपर करता है निर्भर
- एनपीएस का देशभर के कर्मचारी कर रहे हैं विरोध
Source : News Nation Bureau