OPS vs NPS: पुरानी पेंशन को लेकर बीजेपी व कांग्रेस की जंग किसी से छिपी नहीं है. कांग्रेस पुरानी पेंशन कर्मचारियों को देने के लिए सहमत है. जबकि केन्द्र सरकार सरकारी खजाने पर दबाव पड़ने का हवाला देकर इससे कन्नी काट रही थी. लेकिन पिछले कुछ दिनों से बीजेपी भी पुरानी पेंशन को लेकर नर्म दिखाई दे रही है. कुछ राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक मानना है कि बीजेपी पुरानी पेंशन को चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाने वाली है. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही पेंशन स्कीम का रिव्यू करने के लिए कहा गया था. जिस पर सूत्रों का दावा है कि केन्द्र सरकार चुनाव से पहले पेंशन को लेकर बड़ा ऐलान करने वाली है. हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान इस पर नहीं आया है..
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न्यू पेंशन सिस्टम लोगों ने क्यों नकारा ?
दरअसल, वर्तमान टाइम की बात करें तो न्यू पेंशन सिस्टम के तहत कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत जमा करना होता है. जबकि सरकार 14 प्रतिशत धनराशि अपनी ओर से जमा करती है. इसके बाद जब कर्मचारी रिटायर होता है तो मार्केट इंटरेस्ट रेट के आधार पर उसे पेंशन मिलती है. जबकि पुरानी पेंशन में कर्मचारी की आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है. साथ ही इसमें कर्मचारी को अपनी ओर से कोई निवेश भी नहीं करना होता है. इसलिए देश के सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन को लेकर सहमती जता चुके हैं...
सरकार कर सकती है बदलाव
आपको बता दें कि पुरानी पेंशन को लेकर सरकार का कहना था कि इससे सरकारी खजाने पर अधिक भार पड़ता है. जिसके बाद न्यू पेंशन सिस्टम शुरू किया गया है. चुनावी साल होने के चलते बीजेपी जनता का मूड़ भाप रही है. जिसके चलते खबर आ रही है कि चुनाव से पहले ही सरकार न्यू पेंशन सिस्टम में संसोधन करेगी. जिसमें सरकार और एम्प्लॉई दोनों पेंशन प्लान के लिए योगदान तो करते रहेंगे. लेकिन कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी के 40 से 45 प्रतिशत के बराबर की फिक्स पेंशन देने का प्रावधान किया जा सकता है. हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हो सकी है...
HIGHLIGHTS
- 2024 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनसकती है पुरानी पेंशन स्कीम
- पुरानी को पेंशन को लेकर अब केन्द्र सरकार की भी दिख रही है नर्म
- कांग्रेस शासित राज्य अभी भी कर रहे पुरानी पेंशन की वकालत
Source : News Nation Bureau