लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. पीएम मोदी की अगुवाई में नई सरकार ‘मोदी 3.0’ का गठन हो गया है. इसके साथ ही 72 मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बंटवारों भी हो चुका है. हरदीप सिंह पुरी को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है. इस बीच उन्होंने बड़ा ऐलान किया है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि इस बार केंद्र सरकार का प्रयास होगा कि पेट्रोल-डीजल और प्राकृतिक गैस जैसी चीजों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए. इस तरह आम जनता को काफी राहत मिलेगी.
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पहले भी हो चुकी हैं कोशिश
पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रयास बीते काफी समय से चल रही है. आम उपभोक्ताओं का कहना है कि जब हर सामान पर जीएसटी लगाई जा रहा है तो पेट्रोल-डीजल को क्यों इससे बाहर रखा गया है. जीएसटी की व्यवस्था सामने आने के बाद समय-समय पर जीएसटी परिषद बैठकें होती आई हैं. हर बैठक में जीएसटी को लेकर मांग उठी है. मगर राज्यों के बीच सहमति न होने की वजह से ऐसा हो नहीं सका.
सीतारमन ने संकेत दिए थे
आपको बता दें कि राज्य सरकार के पास आय का सबसे बड़ा साधन पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला वैट है. ऐसे में कई राज्य सरकारें ये नहीं चाहती हैं कि पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आए. इस तरह से राजस्व को भारी नुकसान हो सकता है. बीते साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी इस पर संकेत दिए थे. पिछले साल नवंबर में उन्होंने कहा था कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से ग्राहकों को सबसे अधिक लाभ होगा. इस तरह देश के अलग-अलग भागों में एक ही कीमत चुकानी होगी.
जीएसटी के साथ इथेनॉल को लाने का लक्ष्य
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के साथ पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक और संकल्प लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल को मिलाने का लक्ष्य रखा था. मगर अब अगले साल यानी 2025 तक ये काम पूरा होने की आशा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोलियम सेक्टर की पीएसयू में हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में बिल्कुल नही है.
Source : News Nation Bureau