गाड़ियों में लगे टायर से भी अब ईंधन (Fuel) की बचत होगी. जी हां आपने सही सुना. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब दिया है कि ईंधन (Petrol Diesel) की बचत के लिए लोगों को अब स्टार रेटिंग (Star Rating) वाले टायरों का इस्तेमाल करना होगा. उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स, 1989 के रूल 95 में संशोधन की अधिसूचना को जारी कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिसूचना के मुताबिक टायर बनाने वाली कंपनियों (Tyre Manufacturers) को क्लास सी1, सी2 और सी3 कैटेगरी में आने वाले टायरों के लिए तय किए गए मानक का पालन करना जरूरी होगा.
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सेक्टर से जुड़े सभी पक्षों की राय और आपत्तियां मांगी
बता दें कि कंपनियों को इसके आधार पर टायरों को रेटिंग देना होगा. रेटिंग में वेट ग्रिप (Wet Grip), रोलिंग साउंड इमिशन (Rolling Sound Emission) और रोलिंग रेसिस्टेंस (Rolling Resistance) को शामिल किया गया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इसको लेकर सेक्टर से जुड़े सभी पक्षों की राय और आपत्तियां मांगी है. बता दें कि रोलिंग रेसिस्टेंस की उच्च रेटिंग का अर्थ ईंधन की बचत से है. वहीं हायर वेट ग्रिप रेटिंग से आशय अच्छी ब्रेकिंग क्षमता से है. इसके अलावा ज्यादा रोलिंग साउंड इमिशन से वाहन चलाने के दौरान टायर से बेहद कम शोर होता है. इन सभी से ड्राइविंग भी काफी आसान होगी.
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नए नियमों के पालन से देश में बेचे जाने वाले टायर अब यूरोप के मानकों के अनुकूल हो जाएंगे. जानकार कहते हैं कि तीन मानक में से 2 मानक का पालन करना काफी आसान है, हालांकि वेट ग्रिप टेस्टिंग में थोड़ी परेशानी आ सकती है. वहीं रोलिंग रेसिस्टेंस को टायर कंपनियां लागू करने की स्थिति में हैं.
HIGHLIGHTS
- MoRTH ने सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स, 1989 के रूल 95 में संशोधन की अधिसूचना जारी की
- क्लास सी1, सी2 और सी3 कैटेगरी में आने वाले टायरों के लिए तय मानक का पालन करना जरूरी होगा