Railway Rules: रेल को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. क्योंकि रोजाना करोड़ों यात्रियों का वास्ता रेल से पड़ता है. ऐसे में हर यात्री के मन में एक सवाल खड़ा होता है कि यदि किसी वजह से ट्रेन चालक सो जाएं तो क्या होगा? वैसे तो आपको बता दें कि ट्रेन में हमेशा दो लोको पायलट होते हैं. किसी वजह से एक पायलट को झपकी भी लगती है तो दूसरा ट्रेन को संभाल सकता है. लेकिन यदि किसी वजह से दोनों चालक सो जाएं तो एसी स्थिति में क्या होगा. क्या ट्रेन आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी? क्या ट्रेन में बैठे यात्रियों की जान बच पाएगी. ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको इस खबर में मिल जाएंगे.
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रेलवे के मुताबिक यदि दोनों लोको पायलट भी किसी वजह से सो जाते हैं. उसके बाद भी ट्रेन पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी. क्योंकि ट्रेन के इंजन में ऐसे इक्यूमेंट्स लगाए जाते हैं जो चालक की सतर्कता को भी रीड़ करते हैं. यानि ड्राइवर कितनी बार होर्न का इस्तेमाल कर रहा है. साथ ही कितनी बार स्पीड़ बढ़ा रहा है या घटा रहा है. इसकी सभी जानकारी इंजन में लगी डिवाइस भी रीड़ करती रहती है. इसलिए यदि काफी देर तक कोई भी एक्टिविटी नहीं होती है तो वह इंजन को अपने आप रोक देता है. हालांकि ऐसा आज तक हुआ नहीं है जब दोनों लोको पायलट सो गए....
स्पीड़ होती है निर्धारित
कुछ ट्रेनें पूरे रास्ते एक ही स्पीड़ पर दौड़ती हैं. ऐसे में लोको पायलट उसकी स्पीड़ में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता है. साथ ही हॅार्न बजाने की अनुमति पायलट को नहीं होती. ऐसे में इंजन में लगी डिवाइस तक कोई मैसेज नहीं पहुंचता. ऐसे में लोकोपायलट को बिना वजह ही डेड मैन लीवर को दबाना पड़ता है ताकि इंजन तक ड्राइवर का मैसेज पहुंच सके. यदि ड्राइवर लगातार 5 मिनट तक लीवर को नहीं दबाता है तो डिवाइस के माध्यम से इंजन अपने आप ही रफ्तार कम कर देता है. साथ ही उसके कुछ दूरी पर जाकर ट्रेन अपने आप रुक जाती है.