अगर आप भी सहकारी समिति (co operative) में पैसा जमा करते हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि कोई भी समिति बैंक नहीं है. इसलिए समिति में जमा पैसे की जिम्मेदारी आरबीआई की नहीं होगी. अपनी जिम्मेदारी पर ही समितियों में लोग पैसा जमा करें. केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 में किए गए संशोधन के बाद कोई भी सहकारी समिति 'बैंक, बैंकर या बैंकिंग' शब्द का इस्तेमाल अपने नाम में नहीं कर सकती है. हालांकि, रिजर्व बैंक से इसके लिए पूर्व-अनुमति होने पर उसे ऐसा करने की छूट होगी.
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आरबीआई ने कहा कि कुछ सहकारी समितियों द्वारा अपने नाम में 'बैंक' शब्द के इस्तेमाल की शिकायतें उसे मिली हैं. ये समतियां इस संशोधित नियम का उल्लंघन कर रही हैं. कुछ सहकारी समितियां गैर-सदस्यों से भी जमा राशि स्वीकार कर रही हैं, जो बैंकिंग कारोबार में संलग्न होने जैसा है. रिजर्व बैंक ने सहकारी समितियों के इस आचरण को भी बैंकिंग नियमन अधिनियम का उल्लंघन बताया है. रिजर्व बैंक ने कहा-ऐसी स्थिति में आम जनता को यह सूचित किया जाता है कि ऐसी सहकारी समितियों को बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 के तहत बैंकिंग के लिए कोई लाइसेंस नहीं जारी किया गया है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस तरह की सहकारी समितियों के पास जमा की गई रकम जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (DICGC) के दायरे में नहीं आती है. लिहाजा लोगों को ऐसी सहकारी समितियों के पास अपना पैसा जमा करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। केंद्रीय बैंक ने लोगों से बैंकिंग कार्यों के लिए अधिकृत लाइसेंसधारक संस्थानों से ही लेनदेन करने को कहा है. यदि इसके बावजूद भी आपका पैसा फस जाता है तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की नहीं होगी.
HIGHLIGHTS
- RBI ने चेताया, कहा समितिया कोई बैंक नहीं
- यदि कोई समिति बैंक के नाम का इस्तेमाल करती हैं तो होगी कार्रवाई
- बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन 29 सितंबर, 2020 से ही प्रभावी हो चुके हैं