कई बार हमारे मन में सवाल उठता है कि भारत में नोट छापने की प्रक्रिया क्या है. सवाल यह भी है कि एक साल में आखिर कितने नोट छापे जा सकते हैं और इसका फैसला सरकार लेती है या भारतीय रिजर्व बैंक. तो हम आपको बता दें कि हमारे देश में नोट छापने का प्रोसेस दो स्टेज में पूरा किया जाता है. फर्स्ट स्टेज में आरबीआई भारत सरकार को नोट छापने के लिए अर्जी भेजता है, जिसके बाद आरबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री का एक बोर्ड इस बारे में विचार विमर्श करता है और फिर नोट छापने के लिए मंजूरी दे दी जाती है. नोट छापने का काम सरकारी मुद्रा मुद्रण और सुरक्षा बोर्ड (सिएएमएस) द्वारा किया जाता है और यह एक बड़ी तकनीकी प्रक्रिया है जो बहुत सुरक्षित होती है. यहां कुछ मुख्य चरण हैं जो नोट छापने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं:
डिज़ाइन तथा तकनीकी निर्माण:
सरकार या संबंधित मुद्रा संस्था डिज़ाइन को तैयार करती है जो नोट की सामान्य और सुरक्षित स्वरूप की निर्माण प्रक्रिया का निर्देश करता है. इसमें नोट के आकार, रंग, और सुरक्षा तत्वों का निर्धारण शामिल होता है.
मुद्रण प्लेट्स तैयारी:
नोट के मुद्रण के लिए खाके या मुद्रण प्लेट्स तैयार किए जाते हैं जिनमें नोट का डिज़ाइन शामिल होता है.
मुद्रण प्रक्रिया:
तैयार किए गए मुद्रण प्लेट्स का उपयोग मुद्रण मशीनों में किया जाता है जिससे नोटों को पेपर या अन्य मद से मुद्रित किया जाता है.
सुरक्षा तत्वों की जोड़बंदी:
सुरक्षा के लिए नोट में विभिन्न तकनीकी तत्वों का उपयोग किया जाता है जैसे कि वाटरमार्क, रिबन्ड, मैगनेटिक स्ट्रिप्स, और होलोग्राम्स.
सफलतापूर्वक निगरानी:
नोट की खाके या मुद्रण प्लेट्स की सही जोड़बंदी और सुरक्षा तत्वों की सही प्रबंधन के लिए निगरानी रखी जाती है.
जाँच और मान्यता:
नोटों की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के बाद, उन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है और फिर वे चलने के लिए जारी की जाती हैं. नोट छापने का काम सुरक्षित और चुनौतीपूर्ण होता है ताकि जलसाजी और धरोहर की रक्षा हो सके और जनता को सुरक्षित मुद्रा मिले.
Source : News Nation Bureau