भारतीय सेना के सैनिकों की सुरक्षा के लिए देश में हल्की वजन के बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्माण किया गया है. डीआरडीओ ने इसको विकसित किया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research And Development Organisation-DRDO) लैब डिफेंस मैटेरियल्स एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (Defence Materials and Stores Research and Development Establishment-DMSRDE), कानपुर ने भारतीय सेना (Indian Army) की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए 9.0 किलोग्राम वजनी हल्के वजन वाली बुलेट प्रूफ जैकेट (Bullet Proof Jacket-BPJ) विकसित की है. फ्रंट हार्ड आर्मस पैनल (एफएचएपी) जैकेट का परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला (टीबीआरएल), चंडीगढ़ में किया गया और इस परीक्षण ने प्रासंगिक बीआईएस मानकों को पूरा किया.
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इस महत्वपूर्ण विकास का महत्व इस तथ्य में निहित है कि बीपीजे के वजन में कमी का प्रत्येक ग्राम युद्धक्षेत्र में बने रहने के लिहाज से सैनिक का आराम बढ़ाने में महत्वपूर्ण है.
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मध्यम आकार के बुलेट प्रूफ जैकेट का वजन 10.4 से 9.0 किलोग्राम तक हो जाता है कम
इस तकनीक से मध्यम आकार के बुलेट प्रूफ जैकेट का वजन 10.4 से 9.0 किलोग्राम तक कम हो जाता है. इस उद्देश्य के लिए प्रयोगशालाओं में बहुत विशिष्ट सामग्री और प्रक्रमण प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने डीआरडीओ (DRDO) के वैज्ञानिकों और उद्योग को हल्के वजन वाली बीपीजे विकसित करने के लिए बधाई दी जिससे सैनिक और अधिक आराम महसूस कर पाएंगे.
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DRDO के अध्यक्ष ने वैज्ञानिकों को दी शुभकामनाएं
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने डीएमएसआरडीई टीम को इस निर्माण के लिए बधाई दी है.
- इनपुट पीआईबी
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HIGHLIGHTS
- DRDO प्रयोगशाला ने भारतीय सेना के लिए हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट का विकास किया
- फ्रंट हार्ड आर्मस पैनल जैकेट का परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला चंडीगढ़ में किया गया