तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने सोमवार को राज्य में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि से अनुमति मिलने के बाद अध्यादेश जारी किया जाएगा. सरकार ने यह कदम लोगों पर खेल के प्रभाव का अध्ययन करने के बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीश के चंद्रू की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों के आधार उठाया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक ने 29 अगस्त को पेश किए गए मसौदा विधेयक में बदलाव के बाद अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई.
सरकार की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अध्यादेश जारी किया जाएगा. बयान में यह भी कहा गया है कि मसौदा कानून स्कूली शिक्षा विभाग से छात्रों पर ऑनलाइन रम्मी के प्रभाव और लोगों और अन्य हितधारकों से प्राप्त राय पर आधारित था. रमी गेम्स के प्रभाव पर रिपोर्ट देने के लिए इस साल जून में जस्टिस चंद्रू की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था और इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (IIT-M), शंकररमण, लक्ष्मी के एक तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे. आत्महत्या की रोकथाम में शामिल एक गैर सरकारी संगठन स्नेहा के संस्थापक विजय कुमार और एडीजीपी विनीत देव वानखेड़े ने ऑनलाइन रमी के खिलाफ एक "मजबूत कानून" का मसौदा तैयार किया.
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यह दूसरी बार है, जब तमिलनाडु ऑनलाइन रमी के खिलाफ काम कर रहा है. AIADMK सरकार ने 2021 में भी एक कानून के माध्यम से इस पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे मद्रास उच्च न्यायालय ने इस आधार पर रद्द कर दिया था कि कानून का मसौदा पर्याप्त सबूत के बिना तैयार किया गया था. ऑनलाइन गेम खेलने में लाखों रुपए गंवाने के बाद कई लोगों की आत्महत्या से मौत के बाद राज्य सरकार ने समिति का गठन किया था. इस घटना ने ऑनलाइन रमी के खिलाफ एक "मजबूत कानून" की मांग को फिर से शुरू कर दिया. न्यायमूर्ति चंद्रू की अध्यक्षता वाली समिति ने खेल खेलते समय होने वाले वित्तीय नुकसान, पैसे खोने वाले लोगों की आत्महत्या की प्रवृत्ति, डेटा के माध्यम से ऑनलाइन रमी के दुष्प्रभावों का विश्लेषण और लोगों पर खेल खेलने के लिए विज्ञापनों के प्रभाव का अध्ययन किया गया.
Source : News Nation Bureau