भारतीय रेलवे ट्रेनों को प्राइवेट सेक्टर को सौंपने की तैयारी कर रहा है. रेलवे ये योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत बना रहा है. हालांकि ट्रेनों की जिम्मेदारी प्राइवेट सेक्टर को सौंपने के बाद रेलवे उन सभी सुविधाओं को वापस ले लेगा जो अभी यात्रियों को दी जाती हैं.
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फिलहाल यात्रियों को दी जाती है कौन-कौन सी सुविधा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल कई एक्सप्रेस ट्रेनों में 53 किस्म की रियायत दी जाती है. इनमें बुजुर्ग, महिलाएं, कैंसर के मरीज, दिव्यांग, खिलाड़ी, अन्य कोई गंभीर बीमारी शहीदों की विधवाओं औ छात्रों को दी जाने वाली रियायते शामिल है. बताया जा रहा है कि ट्रेनों को नीजि सेक्टरों को सौंपने के बाद ये सभी रियायते खत्म कर दी जाएंगी क्योंकि ये सभी सुविधाएं रेलवे की तरफ से दी जाती है. फिलहाल जो सुविधाएं लोगों को मिलती हैं उनमें एसी कोर्च में 3 मुफ्त यात्राएं कैंसर मरीजों के लिए हैं जबकि सहायक को 75 फीसदी की छूट मिलती है. इसके अलावा दूसरी श्रेणियों में भी रेलवे की तरफ से करीब 75, 50 या 40 फीसदी की छूट दी जाती है.
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क्यों हो रहा है निजीकरण?
माना जा रहा है कि इस निजीकरण का एक बड़ा कारण ये हो सकता है कि इस वक्त ज्यादातर ट्रेन इन सभी सुविधाओं के चलते घाटे में चल रही है. फिलहाल रेलेव को 100 रुपए में से केवल 57 रुपए ही मिलते हैं. खबरों के मुताबिक इन ट्रेनों का किराया भी शताब्दी से 20 गुना से ज्यादा होने की संभावना है.