Bank Strike: सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल ने लगभग 37,000 करोड़ रुपये के चेक की निकासी को प्रभावित किया है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने इसकी जानकारी दी है. वेंकटचलम ने कहा कि भारत में तीन चेक क्लियरिंग सेंटर चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में हैं. दो दिनों में (गुरुवार और शुक्रवार) लगभग 37,000 करोड़ रुपये के लगभग 38 लाख चेक रुके हुए थे. वेंकटचलम ने ग्रिड के हिसाब से जानकारी देते हुए कहा कि चेन्नई में करीब 10,600 करोड़ रुपये के करीब 10 लाख चेक, मुंबई में करीब 15,400 करोड़ रुपये के करीब 18 लाख चेक और दिल्ली में 11,000 करोड़ रुपये के करीब 11 लाख चेक का भुगतान नहीं किया गया.
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उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के अलावा पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी जैसे फेडरल बैंक, कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक, सीएसबी बैंक, साउथ इंडियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, रत्नाकर बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी हड़ताल पर थे. सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सोनाली बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका और अन्य जैसे विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी हालांकि बहुत कम संख्या में हड़ताल पर हैं.
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों का एक वर्ग भी हड़ताल पर है. हड़ताल में शामिल नहीं होने के कारण करीब एक लाख बैंक शाखाएं बंद हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कुछ अन्य को खुला रखा गया है. हालांकि, उन शाखाओं में कोई लेनदेन नहीं हुआ क्योंकि अन्य कर्मचारी हड़ताल पर थे. हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया था, जो कई बैंक यूनियनों की एक संस्था है. वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण और संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के केंद्र के कदम के खिलाफ है. विधेयक के पारित होने से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनकी इक्विटी पूंजी को 51 प्रतिशत से कम करने में सक्षम होगी और निजी हाथों को उन पर अधिकार करने की अनुमति देगी. केंद्र ने पहले कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगा.
हड़ताल की वजह से करोड़ों का लेनदेन प्रभावित
देश में बैंकों के निजीकरण के खिलाफ 16 और 17 दिसंबर को बैंकों की देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को भी मेरठ और आसपास के जिलों में बैंक के अधिकारी और कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस की ओर से यह हड़ताल की गई है. गुरुवार को बैंकों की हड़ताल का व्यापक असर देखा गया था. शुक्रवार को भी हड़ताल के कारण आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. बागपत में बड़ौत के बैंकों के निजीकरण नहीं करने और बैंकिंग अधिनियम 2021 में संशोधन की मांग को लेकर दूसरे दिन भी बैंकों में हड़ताल जारी. करोड़ों का लेन-देन ठप रहा और आज भी ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
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यूनियन के समन्वयक प्रशांत शर्मा ने कहा कि संसद में बैंकों के निजीकरण को लेकर पेश होने वाले बिल का विरोध है. इसे लेकर बैंक की वार्ता असफल रही है. ऐसे में बैंकों के पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हड़ताल से ग्राहकों को परेशानी हो सकती है, लेकिन यह परेशानी अल्पकालिक है. अगर राष्ट्रीकृत बैंक निजी हाथों में चले गए, तो ग्राहकों को सबसे अधिक दिक्कत आएगी. उन्होंने लोगों से भी सहयोग की अपील की है. - इनपुट आईएएनएस
HIGHLIGHTS
- दो दिन में तकरीबन 37,000 करोड़ रुपये के लगभग 38 लाख चेक रुके
- हड़ताल में शामिल नहीं होने के कारण करीब एक लाख बैंक शाखाएं बंद