देश में पेमेंट बैंक का प्रचलन पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ा है. पेमेंट बैंक पर लोगों का भरोसा बढ़ने के कारण इससे पेंमेंट करने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. देश में बैंकिंग सेवाओं को घर-घर पहुंचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 2015 में पेमेंट बैंक की शुरुआत की थी. पेमेंट बैंक के लिए देश की 41 कंपनियों ने लाइसेंस के लिए आरबीआई में आवेदन किया था लेकिन सिर्फ कंपनियों को ही लाइसेंस जारी किए गए.
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इन पेमेंट बैंक में से एक वोडाफोन m-pesa (Vodafone m-pesa) का कामकाज बंद हो गया है. ऐसे में अब वोडाफोन m-pesa के ग्राहकों को अब इस पेमेंट बैंक से अपना पैसा निकलना होगा. वोडाफोन ने स्वेच्छा से पेमेंट बैंक m-pesa को लिक्विडेट यानी बंद करने का आवेदन दिया था. कंपनी के इस फैसले के बाद रिजर्व बैंक ने वोडाफोन m-pesa के आवंटित अधिकार प्रमाणपत्र (सीओए) को रद्द कर दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि पेमेंट बैंक का कामकाज बंद हो गया है.
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30 सितंबर 2022 तक मिलेगा मौका
अगर आपने इस पेमेंट बैंक में पैसा जमा किया है तो उसे जल्द से जल्द निकाल लें. हालांकि ग्राहकों या व्यापारियों का भुगतान प्रणाली परिचालक (पीएसओ) के रूप में कंपनी के ऊपर कोई वैध दावा है तो वे सीओए रद्द होने के 3 साल के भीतर यानी 30 सितंबर 2022 तक दावा कर सकते हैं.
आइडिया का किया आवेदन
इससे पहले पिछले साल आदित्य बिड़ला आइडिया पेमेंट बैंक लिमिटेड (एबीआईपीबीएल) ने भी आरबीआई को लिक्विडेट करने का आवेदन दिया था.
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क्या होता है पेमेंट बैंक
दरअसल, पेमेंट बैंकों को लॉन्च करने का मकसद स्माल सेविंग अकाउंट होल्डर्स, लो इनकम हाउसहोल्ड (कम आय वाले परिवार), असंगठित क्षेत्र, प्रवासी मजदूरों और छोटे बिजनेसमैन को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना है. इसके लिए आरबीआई ने नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन, मोबाइल फोन सेवा देने वाली कंपनियां या फिर सुपर मार्केट चेन आदि को पेमेंट बैंक शुरू करने की छूट दी है.
Source : News Nation Bureau