डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पीछे लिखा CVV क्या है, इसके लीक होने पर कैसे हो सकता है बड़ा नुकसान

सीवीवी (CVV) का फुल फॉर्म कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू है. CVV डिजिटल ट्रांजैक्शन के समय पुष्टि करता है कि कार्डधारक ही इस भुगतान के लिए जिम्मेदार है.

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Dhirendra Kumar
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डेबिट (Debit Card), क्रेडिट कार्ड (Credit Card)

डेबिट (Debit Card), क्रेडिट कार्ड (Credit Card)( Photo Credit : NewsNation)

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मौजूदा समय में शॉपिंग के लिए डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) एक बेहद आसान प्रक्रिया है. कुछ ही मिनट में शॉपिंग, डिनर या फिर ट्रेवल के लिए टिकट की बुकिंग हो जाती है. हालांकि जितना यह आसान है उसी के अनुरूप यह काफी जोखिम भरा भी है. ऐसे में अगर आपके डेबिट (Debit Card) या क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के पीछे छिपा हुआ तीन अंक वाला सीवीवी (CVV) नंबर कहीं लीक हो जाए तो आपको लेने के देने पड़ सकते हैं. यही वजह है कि बैंकों की ओर से समय-समय पर ग्राहकों को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाव के लिए जागरुक किया जाता है. 

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आपने विज्ञापनों में अक्सर यह सुना होगा कि रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से लोगों को आगाह किया जाता है कि वे अपनी सीवीवी (CVV) या ओटीपी (OTP) को किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करें. हालांकि कई बार ऐसा होता है कि वे इन अलर्ट को हल्के में ले लेते हैं और जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना भी पड़ता है. सभी बैंक आए दिन लोगों को आगाह करते रहते हैं कि वे बैंकिंग लेन-देन से जुड़ी अपनी गोपनीय सूचनाओं को किसी अनजान व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करें. आज की इस रिपोर्ट में हम तीन अंक वाला सीवीवी (CVV) किसी गलत हाथ में पड़ जाए तो क्या नुकसान हो सकता है इसकी चर्चा करेंगे.

सीवीवी (CVV) क्या है?
सीवीवी (CVV) का फुल फॉर्म कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू है. CVV डिजिटल ट्रांजैक्शन के समय पुष्टि करता है कि कार्डधारक ही इस भुगतान के लिए जिम्मेदार है. RBI की ओर से CVV को किसी से भी शेयर नहीं करने की सलाह दी जाती है. बता दें कि सीवीवी डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप पर अंकित होता है और OTP की तरह ही CVV एक सिक्योरिटी लेयर है. जानकारों का कहना है कि अगर गलती से किसी अनजान व्यक्ति के पास आपके कार्ड की सीवीवी पहुंच जाए तो आपका बैंक अकाउंट खाली होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. 

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धोखाधड़ी से बचाव के लिए क्या करें
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि डेबिट या क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद सीवीवी (CVV) नंबर को याद कर लेना चाहिए. उसके बाद सीवीवी नंबर को डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ऊपर मिटा देना चाहिए. जानकारों का कहना है कि यह कदम उठाने से धोखाधड़ी की संभावना काफी कम हो जाती है.

HIGHLIGHTS

  • CVV डिजिटल ट्रांजैक्शन के समय पुष्टि करता है कि कार्डधारक ही इस भुगतान के लिए जिम्मेदार है 
  • डेबिट या क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद सीवीवी (CVV) नंबर को याद कर लेना चाहिए: भारतीय रिजर्व बैंक  
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