पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel)आम आदमी से जुड़ा है प्रोडेक्ट है. इसलिए जैसे ही रविवार को डीजल के रेट में 25 रुपए के इजाफे की खबर दिखाई दी. वैसे ही लोगों ने कहा बस अब तो वाहनों को घर पर ही खड़ा करना होगा. लेकिन उसके बाद पता चला कि पेट्रोल-डीजल को थोक में खरीदने वालों के लिए रेट बढ़ें हैं. आपको बता दें कि पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel)को थोक में खरीदने वाले को बल्क बायर (Bulk buyers) कहते हैं. आपको बता दें कि तेल कंपनियों (OMC) ने इन खरीदारों के लिए प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल के दाम 25 रुपये तक बढ़ा दिए हैं. दरअसल, ये थोक खरीदार वो होते हैं जो तेल कंपनियों से टैंकर भर-भर कर तेल खरीदते हैं. यूं समझें कि कोई फैक्ट्री का मालिक तेल कंपनियों से टैंकर भर कर तेल खरीदता है, उसे ही थोक खरीदार या बल्क बायर कहते हैं. इसका आम आदमी पर क्या फर्क पड़ने वाला है इसकी जानकारी हम यहां दे रहे हैं.
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आपको बता दें कि एक तरफ थोक तेल का भाव बढ़ा है तो दूसरी ओर रिटेल तेल के दाम 135 दिन से स्थिर बने हुए हैं. थोक के भाव बढ़ने के पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार बताया गया है. लेकिन सवाल है कि रिटेल तेल भी तो बाहर से ही आता है, फिर उसके रेट में कोई बढ़ोतरी क्यों नहीं दिख रही? इसका जवाब सीधा है कि सरकार अभी तेल की कीमतों का बोझ आम जनता पर नहीं डालना चाहती है. दूसरी ओर थोक खरीदार जैसे कि फैक्ट्री चलाने वाले, एयरपोर्ट, बस फ्लीट, ट्रांसपोर्ट फ्लीट, मॉल आदि चलाने वाले बिजनेसमैन को तेल की ऊंची कीमतें अदा करनी होगी. यदि सरकार चाहे तो आम जनता पर भी तेल की बढी कीमतों को वसूल सकती है.
ऐसे पड़ेगा असर
अभी थोक खरीदारों के लिए तेल का रेट 25 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाया गया है. अगर ऑपरेटिंग कॉस्ट जोड़ें तो यह 27 परसेंट के आसपास जाएगा. आपको बता दें कि बल्क में बढ़ें रेटों का असर आम आदमी पर साफ दिखने वाला है. यूं समझिये यदी कोई फेक्ट्री जूते बनाती है. वह 25 रूपए ज्यादा में डीजल खरीदेगी तो उसकी कॅास्ट प्रोडेक्ट पर जोड़कर प्राइज प्रिंट करेगी. इसी तरह हर प्रोडेक्ट पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा. तेलों के बल्क बायर तेल कंपनियों से महंगे में टैंकर खरीदने से अच्छा पेट्रोल पंप से तेल खरीदना शुरू करेंगे. चूंकि पेट्रोल पंप पर रेट अभी स्थिर है.
Source : News Nation Bureau