भारत में सोने का उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है. 2020 में, भारत ने 6.6 टन सोने का उत्पादन किया. यह 2019 में उत्पादित 5.8 टन से अधिक है. भारत सरकार सोने के खनन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है. इसमें सोने की खोज के लिए नए क्षेत्रों की खोज करना और खनन प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाना शामिल है. भारत में सोने की कई खानें हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हैं खानों के बारे में आप पहले जान लें.
भारत में कहां है सोने की खान ?
कर्नाटक में कोलार गोल्ड फील्ड्स: ये खानें 1880 के दशक से काम कर रही हैं और भारत में सोने का सबसे बड़ा स्रोत हैं.
आंध्र प्रदेश में रामगिरि गोल्ड फील्ड्स: ये खानें 19वीं शताब्दी के मध्य से काम कर रही हैं और भारत में सोने का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं.
झारखंड में हट्टी गोल्ड माइंस: ये खानें 19वीं शताब्दी के अंत से काम कर रही हैं और भारत में सोने का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं.
राजस्थान में राजपुरा-Dariba खान: यह खान 1980 के दशक से काम कर रही है और भारत में सोने का चौथा सबसे बड़ा स्रोत है.
छत्तीसगढ़ में बिरगंगा खान: यह खान 1990 के दशक से काम कर रही है और भारत में सोने का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है. इन खानों के अलावा, भारत में कई छोटी सोने की खानें भी हैं.
खान से निकले सोने के जेवर कैसे बनते हैं ?
सोने की खान से सोना निकालने के बाद, उसका शुद्धिकरण और रूपांतरण विभिन्न प्रक्रियाओं से होता है. यहां सोने के जेवर बनाने की पूरी प्रक्रिया दी गई है:
शुद्धिकरण: सोने का राख को हवा से संपर्क में लाकर उसे गरम किया जाता है ताकि कार्बन के सभी अवशेष जल जाएं. इसके बाद, सोने को लंबे धार के ढांचों में रखा जाता है और उसे अधिकतम तापमान पर गरम किया जाता है. इससे सोने का धातु अधिक पवित्र हो जाता है.
लोहा हटाना: गरम किये गए सोने को अब अलाइन में रखकर, उसे अमोनिया और सियानाइड के द्वारा परिस्थितिकी रूप से तरल हेतु कर दिया जाता है. इसके बाद, सोने को अलग किया जाता है और अधिकांश लोहा निकाल दिया जाता है.
रजत के साथ मिलाना: शुद्ध किया हुआ सोना अब अन्य धातुओं जैसे की सिल्वर, कॉपर, या निकेल के साथ मिश्रित किया जाता है ताकि उसका कठोरता में वृद्धि हो और वह जेवर के लिए प्रयोग किया जा सके.
कटाई और प्रकारण: सोने के धातु को अब आवश्यकतानुसार काटा जाता है और उसे जेवर के रूप में प्रकारित किया जाता है. इसमें रिंग, हार, कंगन, बालियाँ, और अन्य आभूषण शामिल होते हैं.
गुणवत्ता की जांच: अंतिम चरण में, बने हुए जेवर की गुणवत्ता की जांच की जाती है और उसे परीक्षण के लिए उपयुक्त उपकरणों का उपयोग किया जाता है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि उत्पादन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, उत्पन्न आभूषण सभी गुणों के साथ उत्कृष्ट होता है.
Source : News Nation Bureau