ताकि जनजीवन रहे सुरक्षित, इसलिए जरूरत महसूस हुई विश्व पर्यावरण दिवस की. प्रत्येक वर्ष आज ही की तारीख यानि 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य दुनिया में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और प्रकृति को हो रहे नुकसान पर लगाम लगाना है. हमारे पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिहाज से विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल एक खास थीम रखी जाती है, ऐसे में इस साल की थीम है "Solutions to Plastic Pollution" यानि आधुनिकता के इस दौर में हमें और हमारी प्रकृति को प्लास्टिक प्रदूषण से हो रहे नुकसान पर केंद्रीत करना है.
मौजूदा वक्त की बात की जाए तो, भारत सहित कई अन्य देशों ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगा दिया है. बावजूद इसके हमें इस तरह के प्लास्टिक बजारों में आसानी से नजर आ जाते हैं. आज से करीब 116 साल पहले हुए प्लास्टिक की इस खोज ने आज हमारी संपूर्ण जगत का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है. मिली जानकारी के मुताबिक पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर प्लास्टिक के उत्पादन में कई तरह के नुकसानदायक पदार्थ मिलते हैं, जो हमारे और जनजीवन सहित पूरे पर्यावरण के लिए हानिकारक है. जिस प्लास्टिक को हम कचरा समझ कर कूड़े में फेंक देते हैं, असल में वही कूड़ा हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है और हमें खतरे में डाल रहा है.
हकीकत पर गौर करें तो हम आज पूरी तरह से प्लास्टिक से घिरे हुए हैं. हमारे घरों में पानी की बोतल से लगाकर बाल्टी तक, ब्रश से लगाकर टूथपेस्ट तक, बाजारू चीजों से लगाकर घरेलू सामान तक, सब कुछ या तो प्लास्टिक से बना हुआ है या फिर उससे कवर है. हालांकि इनमें से कुछ प्लास्टिक जरूर रिसाइकल हो जाताे हैं, मगर कुछ हमें और हमारे पर्यावरण को दूषित करते हैं. आइये प्लास्टिक से हो रहे पर्यावरण को नुकसान के तीन मुख्य बिंदू देखें...
- वायु प्रदूषण बढ़ाता है प्लास्टिक
- प्लास्टिक है जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा
- सालों साल नष्ट नहीं होती है प्लास्टिक
लिहाजा हमसे जितना हो सके, प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करने की जरूरत है. पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित करने की जिम्मेदारी हमें उठानी पड़ेगी. हमें प्लास्टिक की जगह उसका कोई बेहतरीन विकल्प तलाशना होगा...
Source : News Nation Bureau