भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक, यात्री केवल उसी श्रेणी में यात्रा कर सकता है, जिसके लिए उसके पास टिकट है. यानी आप आसान भाषा में समझें कि अगर आपके पास जिस क्लास की टिकट है, वो उसी क्लास में सफर कर सकते हैं. लेकिन हम आपसे कहे कि एक ऐसा नियम है, जिसके जरिए यात्री सामान्य टिकट है तो वो एसी फर्स्ट क्लास में सफर कर सकता है. यहां तक आप फर्स्ट ऐसी में सफर करते हैं तो आपको टीटीई भी नहीं रोक सकता है.
ऐसे कर सकते हैं फर्स्ट ऐसी में सफर
प्रतिदिन औसतन 1.85 करोड़ यात्री ट्रेनों के जरिए एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं. इनमें एसी, स्लीपर और जनरल क्लास सभी श्रेणियों के यात्री शामिल हैं. कई बार सिंगल महिलाएं फर्स्ट क्लास में अकेली यात्रा करती हैं और उनके साथ अटेंडेंट दूसरे क्लास में ट्रेवल करते हैं. आपको बता दें कि फर्स्ट ऐसी में सफर करने के वाली महिलाओं के लिए रेल मैन्युअल में एक खास नियम होते हैं, यह नियम अकेली सफर करने वाली महिला को जरुर जान लेना चाहिए.
अगर कोई महिला फर्स्ट ऐसी में कर रही है और उसके साथ अटेंडेंट दिन दूसरी सफर में ट्रैवल कर रहे हैं, लेकिन रात में 8 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक अटेंडेंट फर्स्ट ऐसी में सफर कर सकता है. लेकिन इसमें सबसे जरुरी होता है कि अटेंडेंटे महिला होना चाहिए. साथ ही उसके पास सेकेंड ऐसी की टिकट होना चाहिए.
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बच्चे के साथ हो तो क्या करें?
जब एक महिला अकेली महिला डिब्बे में यात्रा कर रही है और उसके साथ बच्चा है तो रेलवे मैनुअल के अनुसार, बच्चे की उम्र 12 साल से कम होने पर वह महिला के साथ फर्स्ट क्लास में यात्रा कर सकता है. हालांकि, बच्चे की उम्र 12 साल से अधिक होने पर उसे महिला डिब्बे में यात्रा करने की अनुमति नहीं होती है, और उसे सामान्य कोच में बैठना होगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि यात्रा अनुभव सुरक्षित और अनुकूल हो, सभी पारिस्थितिकी अनुशासनों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
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Source : News Nation Bureau