केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (Employees Provident Fund-EPF) से जुड़े आयकर के नए नियमों को अधिसूचित कर दिया है. आयकर के नए नियमों के तहत कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड अकाउंट्स को दो अलग-अलग अकाउंट में बांटा जाएगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी CBDT (Central Board Of Direct Taxes) ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड में एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स कैल्कुलेशन के नियमों को अधिसूचित कर दिया है.
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तय सीमा से ज्यादा योगदान पर मिलने वाले ब्याज के ऊपर लगेगा टैक्स
बता दें कि 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक साल की अवधि में भविष्य निधि में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के संयुक्त रूप से अधिकतम ढाई लाख रुपये के योगदान पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री रखने की सीमा को तय करने का ऐलान किया था. दरअसल, सरकार का इस कदम का मकसद ज्यादा सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को अपनी सरप्लस राशि को भविष्य निधि अकाउंट में निवेश करने से रोकना है. नए नियमों के मुताबिक अब प्रॉविडेंट फंड में तय सीमा से ज्यादा योगदान पर मिलने वाले ब्याज के ऊपर टैक्स लगाया जाएगा. आपको बता दें कि प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) को एक तरह से आम आदमी के लिए रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) माना जाता है.
प्रॉविडेंट फंड में कर योग्य ब्याज यानी Taxable Interest के कैल्कुलेशन के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नियमों को अधिसूचित कर दिया है. अधिसूचना के मुताबिक एसेसमेंट के लिए प्रॉविडेंट फंड अकाउंट्स के अंतर्गत व्यक्ति के कर योग्य (Taxable Contributions) और गैर-कर योग्य योगदान (Non Taxable Contributions) को लेकर 2021-22 से अलग-अलग अकाउंट बनाने जरूरी होंगे. जानकारों का कहना है कि CBDT के नोटिफिकेशन से बहुत सी चीजों में स्पष्टता आ गई है. दरअसल, तय सीमा के ऊपर योगदान के साथ Provident Fund के ऊपर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने के ऐलान के बाद कई आशंकाएं पैदा हो गई थीं, लेकिन अब नए नोटिफिकेशन के बाद स्पष्टता आ गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आयकर कानून नियम, 1962 में नियम 9डी में स्पष्ट रूप से इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रॉविडेंट फंड के अकाउंट में अलग से खातों को बनाना होगा. प्रॉविडेंट फंड में कर योग्य और गैर कर योग्य योगदान और उसके ऊपर मिलने वाले ब्याज को अलग-अलग दिखाना जरूरी होगा. जानकारों का कहना है कि नए सिस्टम से टैक्सपेयर्स को टैक्स वाले ब्याज की कैल्कुलेशन में मदद मिलेगी. बता दें कि जिन कर्मचारियों के PF में नियोक्ता का योगदान होगा उन कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री कंट्रीब्यूशन की सीमा 2.5 लाख रुपये है.
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वहीं दूसरी ओर जिन प्रॉविडेंट फंड अकाउंट में नियोक्ता का कंट्रीब्यूशन नहीं होगा उन PF अकाउंट पर 5 लाख रुपये की सीमा तक टैक्स फ्री ब्याज का फायदा मिलेगा. आपको बता दें कि मौजूदा समय में देशभर में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO के अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा है. आंकड़ों को देखें तो 2.5 लाख रुपये के योगदान की सीमा में EPFO के 93 फीसदी अंशधारक आते हैं और उनको टैक्स फ्री ब्याज का लाभ मिलेगा. जानकारों का कहना है कि नए नियम से छोटे और मझोले स्तर के कर्मचारियों पर इस कदम का किसी भी तरह का कोई बोझ नहीं पड़ेगा.
HIGHLIGHTS
- प्रॉविडेंट फंड में तय सीमा से ज्यादा योगदान पर मिलने वाले ब्याज के ऊपर टैक्स लगाया जाएगा
- मौजूदा समय में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO के अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा