बीते 4 साल से कर्ज सस्ता होने की आस लगाए बैठे आम आदमी की उम्मीदें अब साकार हो सकती हैं. सरकार ने आपके पैसे बचाने के लिए बाकायदा नई टीम बना दी है और अगले सप्ताह यह टीम बैठक भी शुरू कर देगी. 7 अक्टूबर से चलने वाली इस बैठक में तीन दिनों तक आम आदमी को राहत पहुंचाने की तरकीब खोजी जाएगी और बहुत हद तक संभावना है कि आपको खुशखबरी सुनने को भी मिल सकती है. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने आखिरी बार अपनी ब्याज दरों में कटौती मई 2020 में की थी.
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जनता को महंगे लोन से मिल सकता है छुटकारा
तब कोरोना महामारी से जूझती जनता को सस्ता कर्ज दिलाने के लिए रिपोर्ट रेट को 4.4 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद सिलसिलेवारर ढंग से छह बार में रेपो रेट को 2.5 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत तक कर दिया गया. इससे आम आदमी का खुदरा कर्ज भी महंगा हो गया, लेकिन अब नीतिगत दरों पर फैसला करने वाली टीम में तीन नए चेहरे शामिल किए गए हैं और अनुमान है कि नई टीम ब्याज दरें घटाने को लेकर फैसला कर सकती है. सरकार ने नीतिगत दर तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी का मंगलवार को पुनर्गठन कर दिया.
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आरबीआई गवर्नर करेंगे नीति की समीक्षा
वित्त मंत्र ने राम सिंह स्वागत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को एमपीसी का नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया है. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत मौद्रिक नीति समिति के पुनर्गठन को अधिसूचित किया है. इसके तहत दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर राम सिंह अर्थशास्त्री स्वागत भट्टाचार्य और नई दिल्ली स्थित औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यपालक डॉक नागेश कुमार इसके बाह सदस्य बनाए गए हैं. नीतिगत दर तय करने वाली एमपीसी के प्रमुख भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं. पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 7 से 9 अक्टूबर को होनी है. बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास 9 अक्टूबर को द्वि मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेंगे.