(रिपोर्ट- सैय्यद आमिर हुसैन)
एक आशियाना बनाने में लोगों की ज़िंदगी गुज़र जाती है एक एक पाई जोड़कर लोग अपने लिए घर बनाते, फ्लैट खरीदते हैं तब जाकर घर का सपना पूरा हो पाता है और इसके लिए लोग सबसे बड़ा लोन लेने का खतरा भी मोल लेते हैं ताकि धीरे धीरे ईएमआई से घर की कीमत को चुकाया जा सके, बड़े बड़े सरकारी और गैर-सरकारी बैंकों के लिए भी होम लोन से सबसे ज्यादा कमाई का ज़रिया होता है जिससे बैंकों की अर्थव्यवस्था चलती है और देश की इकॉनमी को मदद मिलती है ऐसे में लोगों को इंतज़ार रहता है ईएमआई के बोझ कम होने का जो आरबीआई रेपोरेट को कम करके बैंकों को राहत देता है और बैंक आम जनता जो होम लोन बायर्स हैं उन्हे फायदा देती है लेकिन बीते कई महीनों से जनता की चाहत उदासी में बदलती जा रही है इस बार भी आरबीआई ने रेपोरेट में कोई बदलाव नहीं किया.
रिकॉर्ड 10वीं बार नहीं बदला आरबीआई ने रेपो रेट
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने 51वीं एमपीसी की बैठक में रेपोरेट में कोई बदलाव नहीं किया ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि लगातार रेपो रेट को स्थिर रखा गया हो, रेपो रेट 6.50% पर बरकरार है.रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर और बैंक रेट 6.75% पर स्थिर रखा गया है यानी आपकी ईएमआई न तो बढ़ने वाली है और न ही घटने वाली है.
महंगाई तय करती है रेपो रेट बढ़ेगा या घटेगा
आरबीआई हर तीन महीने में रेपो रेट को लेकर तीन दिवसीय बैठक करती है जिसमें देश में महंगाई, वैश्विक अर्थव्यव्स्था और भारत के लिए चुनौती या फिर इसे बेहतर करने की दिशा में एक रोडमैप तैयार किया जाता है जिससे आन वाले समय में भारत के लिए अवसर और चुनौती दोनो पर चर्चा होती है लेकिन रेपो रेट भारत में महंगाई दर कितनी है इससे तय होता है अगर महंगाई दर 4 फ़ीसदी से ज़्यादा है तो ये कंफर्ट ज़ोन नहीं माना जाता, साल 2022-23 में महंगाई दर 7 फ़ीसदी के ऊपर जा पहुंची थी जिसकी वज़ह से रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी करनी पड़ी थी जिसका असर बैंकों के होम लोन की ईएमआई पर पड़ा था.
आरबीआई का अनुमान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने फाइनेंशियल इयर 2025 की दूसकी तिमाही के लिए विकासदर को 7.2 फ़ीसदी से घटाकर 7 फ़ीसदी और तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही में विकासदर को बढ़ाकर 7.4 फ़ीसदी कर दिया है और साल 2026 में विकास दर 7.3 फ़ीसदी रहने का अनुमान है ऐसे में अगर अनुमान ठीक साबित होता है और महंगाई दर काबू में रहती है तो रेपो रेट में बदलाव की संभावना रहेगी.